बचपन में घर से भाग गया...गुजारा करने सेंकी रोटियां, आज सॉफ्टवेयर डेवलपर बन कमाता है लाखों
नई दिल्ली. घर में जब सपने पूरे होने के आसार नजर नहीं आते तो सैकड़ों बच्चे घर से भाग जाते हैं। ऐसे ही खूबसूरत वादियों के राज्य उत्तराखंड के एक छोटे से गांव मानपुर से एक तेरह साल का लड़का घर छोड़ भाग निकला था। वह सिर्फ एक ही जगह को जानता था मुम्बई। सबकुछ छोड़ वो मुंबई आ गया। वो उसके सपनों का शहर था। इसी उम्मीद से ये लड़का मुम्बई तो आ गया लेकिन यहां उसकी जिंदगी में हजारों मुश्किलें आईं। वो कम पढ़ा-लिखा था तो उसके गुजारा करने सिगरेट बेचने से लेकर रसोइयां जैसे काम करने पड़े। पर आज यही लड़का लखपति है। उसकी काबिलियत को बहुत वक्त बाद पहचान मिली। करियर सक्सेज स्टोरी में हम आपको कोडिंग से लाखों कमाने वाले सॉफ्टवेयर डेवलपर आकाश नौटियाल की कहानी सुना रहे हैं।
Asianet News Hindi | Published : Apr 4, 2020 6:16 AM IST / Updated: Apr 04 2020, 11:57 AM IST
आकाश ने घर तो छोड़ दिया लेकिन लेकिन कम शिक्षित होने की वजह उसे बहुत सारे ओछे दर्ज़े वाले काम भी करने पड़े। उसने दुकानों में जा-जा कर एक सिगरेट कंपनी की मार्केटिंग की, लोकल पब में गिटार भी बजाया। जितना भी वह कमा लेता था वह पेट भरने के लिए तो पर्याप्त लेकिन बेहतर जिंदगी के लिए पर्याप्त नहीं था।
2014 में आकाश ने एक कॉल-सेंटर में काम किया और अपने उस लाइफ से खुश भी थे। पर वह लूट लिए गए; जितनी भी संपत्ति थी वह एक ही झटके में छिन गया। उनका सारा कैश, जो उन्होंने जमा किया था, पुस्तकें और उनका लैपटॉप भी चोर ले गया। घर का किराया देने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे। और इसी वजह से उनके मकान मालिक ने उन्हें घर से निकाल दिया। अब उनके पास कोई रास्ता ही नहीं बचा था। किस्मत ने एक बार फिर बाजी पलटी। इसी दौरान उन्हें एक अपार्टमेंट में कुछ लड़कों के लिए खाना बनाने का काम मिल गया।
उन्हें पता था कि यह उनकी यात्रा की शुरुआत है और यह उन्हें जीवन के लिए एक पूरी तरह से नया दृष्टिकोण देगी। जिनके यहां वह काम करते थे वह लड़के आईआईटी बॉम्बे के छात्र थे और वे दिन भर लैपटॉप से चिपके ही रहते थे। एक दिन आकाश ने उनसे पूछा कि आप लोग लैपटॉप पर क्या करते हैं। तब स्नेहिल बक्शी, जो हाउसिंग.कॉम के को-फाउंडर हैं, ने कहा कि “तुम जो फेसबुक और व्हाट्सएप्प यूज़ करते हो न, वैसे वेबसाइट्स, ऐप्स पर कोडिंग होती है। कम्प्यूटर पर सीखना पड़ता है इन कोड्स को एकजूट करने का काम। हम वो कोडिंग करते हैं।”
यह सुनकर आकाश को उत्सुकता हुई और धीरे-धीरे इन सब में रुची भी हो गई। फिर वह कोडिंग और प्रोग्रामिंग के बेसिक्स सीखने लगे। शुरुआती मदद उन्हें आईआईटी के लड़कों से मिल गई और बाक़ी उन्होंने ऑनलाइन कोर्स के द्वारा सीखा। आकाश बहुत जल्द ही इसमें निपुण हो गए। पन्द्रह महीने तक इन्होंने अपना अधिकतर समय नए मिले ज्ञान को बेहतर करने में लगाए।
आकाश सुबह खाना बनाते, फिर घर साफ करते और कुछ समय के लिए सो भी जाते लेकिन जैसे ही वे लड़के घर आते थे तो वह अपना कंप्यूटर लेकर कोडिंग करते थे। साल भर के भीतर ही इन्होंने फ्रंट-एन्ड, बैक-एन्ड और डेटाबेस हैंडलिंग सीख लिया था।
आकाश खाना बना कर महीने में महज आठ से दस हजार तक कमा लेते थे और अब अपने कोडिंग स्किल से 70,000 रूपये महीने के कमा लेते हैं। सलाना उनकी आमदनी लाखों में पहुंच गई है। वर्तमान में वह मुम्बई-बेस्ड इम्पैक्ट रन में आईओएस डिवेलपर के रूप में काम कर रहे हैं। आकाश एक प्रेरक व्यक्तित्व है उन बच्चों के लिए जिन्हें जीवन में ज्यादा कुछ नहीं मिला है और वह अपने बेहतर भविष्य के लिए कुछ करना चाहते हैं। (Demo Pic)