टपकती छत,और दिये के रोशनी में पढ़ाई, ऐसे संघर्षों के बाद भी IAS बन गया ये लड़का

करियर डेस्क. किसी ने सच ही कहा है कि सफलता किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती। सफलता के लिए सिर्फ जरूरी है जोश व लगन। व्यक्ति अपनी मेहनत और जोश के दम पर बड़ा से बड़ा मुकाम हासिल कर सकता है। आज कल अक्सर देखा जा रहा है कि कॉम्पटेटिव एग्जाम्स की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स अक्सर एक या दो बार असफल होने के बाद नर्वस हो जाते हैं। वह अपना संतुलन खो बैठते हैं उन्हें ये लगने लगता है कि अगर वह सफल न हुए तो जिंदगी में क्या कर सकेंगे। उन्हें आगे का रास्ता नहीं सूझता है।  इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। इस कड़ी में आज हम 2017 बैच के IAS आशीष कुमार की कहानी आपको बताने जा रहे हैं। एशियानेट न्यूज हिंदी ने आशीष के पड़ोसी राम कुमार से बात किया। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 2, 2020 8:18 AM IST / Updated: Mar 02 2020, 02:40 PM IST
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टपकती छत,और दिये के रोशनी में पढ़ाई, ऐसे संघर्षों के बाद भी IAS बन गया ये लड़का
आशीष उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के एक छोटे से गांव पुरवा के रहने वाले हैं। वह बेहद गरीब परिवार से हैं। उनके पिता सर्वेश कुमार एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक थे। उनकी सेलरी मात्र 1000 रुपये प्रति माह थी, वहीं मां मनोरमा घरेलू महिला थीं। आशीष तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं। जबकि उनके दूसरे नंबर के भाई की सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है।
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आशीष का बचपन बेहद तंगी में बीता। कच्चे मकान की टपकती छत के नीचे आशीष की पढ़ाई हुई। हांलाकि उनके पिता व मां शुरू से ही पढ़ाई को लेकर काफी एक्टिव रहे हैं। स्कूल बंद होता था तो पिता खर्च चलाने के लिए दूसरों के खेतों में बटाई पर काम कर लेते थे।
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आशीष के घर में बिजली नहीं थी। लालटेन व दिये की रोशनी में उनकी पढ़ाई हुई। कभी-कभी इसके लिए तेल की व्यवस्था नहीं हो पाती थी। आशीष स्कूल का होमवर्क स्कूल से घर पहुंचते ही पूरा करने की कोशिश करते थे ताकि शाम को लाइट की समस्या न रहे।
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आशीष के पड़ोसी रामकुमार ने बताया कि आशीष अपने भाइयों में सबसे बड़ा था। वह अपने पिता के साथ खेतों में भी काम कराता था और पढ़ाई भी करता। लेकिन धीरे-धीरे पढ़ाई में आर्थिक समस्या आड़े आने लगी। जिसके बाद 15 साल की उम्र से ही आशीष ट्यूशन पढ़ाने लगा। गांव में वह बच्चों को बेहद कम फीस पर ट्यूशन पढ़ाने लगा। लेकिन इससे आशीष की पढ़ाई में आने वाली आर्थिक समस्या से निबटने में काफी हद तक मदद मिलने लगी।
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आशीष ने स्नातक करने के बाद प्राइवेट एमए किया। इसके बाद आशीष ने सरकारी नौकरी के लिए प्रयास शुरू कर दिया। आशीष को पहली नौकरी कस्टम एंड एक्साइज इंस्पेक्टर के रूप में मिली। इसके बाद वह IAS की तैयारी में लग गए। तीन प्रयासों में आशीष को सफलता नहीं मिली। वह कभी प्री,कभी मेंस तो कभी इंटरव्यू में फेल होते रहे। लेकिन उन्होंने साहस नहीं छोड़ा। साल 2017 में आशीष ने अपना आखिरी अटेम्प्ट दिया। इस बार आशीष सिविल सर्विस एग्जाम क्रैक करने में सफल रहे। उन्हें 817वीं रैंक मिली।
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