घर से पढ़ाई के लिए भेजे गए पैसे को बचाकर फिर से वापस भेज देता था ये IPS,ऐसी रही है LIFE

लखनऊ(Uttar Pradesh ). फरवरी में CBSE बोर्ड के साथ अन्य बोर्ड के एग्जाम भी स्टार्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही बैंक, रेलवे, इंजीनियरिंग, IAS-IPS के साथ राज्य स्तरीय नौकरियों के लिए अप्लाई करने वाले  स्टूडेंट्स प्रोसेस, एग्जाम, पेपर का पैटर्न, तैयारी के सही टिप्स को लेकर कन्फ्यूज रहते है। यह भी देखा जाता है कि रिजल्ट को लेकर बहुत सारे छात्र-छात्राएं निराशा और हताशा की तरफ बढ़ जाते हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। इस कड़ी में आज हम 2014 के IPS और श्रावस्ती के SP अनूप सिंह की कहानी बताने जा रहे हैं। 
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 15, 2020 4:00 PM IST

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घर से पढ़ाई के लिए भेजे गए पैसे को बचाकर फिर से वापस भेज देता था ये IPS,ऐसी रही है LIFE
अनूप मूलतः यूपी के बस्ती जिले के पिपरा गौतम गांव के रहने वाले हैं। ये एक भाई व एक बहन हैं। अनूप के पिता जनार्दन सिंह यूपी पुलिस में सिपाही हैं। वह इस समय लखनऊ के विभूतिखंड थाने में तैनात हैं। जनार्दन सिंह एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
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अनूप की शुरुआती पढ़ाई बारांबकी जिले से हुई। उनके पिता जनार्दन सिंह की तैनाती बाराबंकी में ही थी। इसलिए अनूप ने इंटरमीडिएट तक की शिक्षा बाराबंकी में ही पाई। उसके बाद वह BA करने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी चले गए। वहां ग्रैजुएशन करने के बाद वह पोस्ट ग्रैजुएशन करने के लिए JNU चले गए।
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JNU में पोस्ट ग्रैजुएशन करने के बाद उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी। अनूप बताते हैं "सिविल सर्विस की तैयारी जब मैंने शुरू किया तो मुझे कोई रास्ता दिखाने वाला नहीं था। मै हिंदी मीडियम का छात्र था और आगे मुझे सिविल सर्विस प्रिपरेशन में तमाम दिक्क्तें आने वालीं थीं। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और मैंने जी-जान लगाकर तैयारी की। "
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"उसी बीच मैंने JRF में अप्लाई किया। मै उसमे सफल रहा और मुझे स्कॉलरशिप मिलने लगी। घर से भी पापा जितना हो सकता था पैसे मेरी पढ़ाई के लिए भेजते थे। मुझे उनकी सेलरी के बारे में जानकारी थी इसलिए मैंने कभी उनपर किसी चीज के लिए प्रेशर नहीं बनाया। हांलाकि वह बिना मेरे कहे मेरी आवश्यकताओं को पूरा करते रहते थे।"
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अनूप के पिता जनार्दन सिंह बताते हैं कि "अनूप स्कॉलरशिप के पैसे से अपनी पढ़ाई कर रहा था। यहां से मै भी जो हो सकता था पैसे भेजता था। लेकिन महीने के अंत में उससे जो पैसा बच जाता था वह वापस मेरे एकाउंट में भेज देता था। मैंने उसे कई बार मना भी किया लेकिन उसने कहा कि पढ़ाई के पैसों के आलावा उसे पैसे की क्या जरूरत है।"
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अनूप ने बताया कि "साल 2014 में मैंने सिविल सर्विस के लिए अप्लाई किया। मै पहले ही प्रयास में सफल रहा। मुझे ओवरआल 119 रैंक मिली जबकि हिंदी मीडियम में सिलेक्ट हुए 26 लोगों में मैं टॉप पर था।" अनूप उस समय सुर्ख़ियों में आ गए थे जब उनकी पोस्टिंग लखनऊ में एसपी नार्थ के रूप में हुई। दरअसल उसी एरिया में उनके पिता जनार्दन सिंह भी सिपाही के पद पर कार्यरत थे। लेकिन अनूप ने जहां अपने फर्ज का निर्वहन किया वहीं उन्होंने पुत्र धर्म को भी बखूबी निभाया।
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अनूप ने IPS बनने के बाद अंशुल सिंह से शादी की। अंशुल अमेरिका में फैशन डिजाइनर थीं। उनके एक 2 साल की बेटी यशस्विनी है। अनूप बताते हैं कि बेटी अभी से काफी तेज है। वह हमेशा मेरे पास ही रहना चाहती है।
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