कभी पुलिस वाले ने इनका रिक्शा रोक कर मांगी थी 100 रू. की घूस, फिर उसी विभाग में बन गई बड़ी अफसर
लखनऊ(Uttar Pradesh ). फरवरी में CBSE बोर्ड के साथ अन्य बोर्ड के एग्जाम भी स्टार्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही बैंक, रेलवे, इंजीनियरिंग, IAS-IPS के साथ राज्य स्तरीय नौकरियों के लिए अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स प्रोसेस, एग्जाम, पेपर का पैटर्न, तैयारी के सही टिप्स को लेकर कन्फ्यूज रहते है। यह भी देखा जाता है कि रिजल्ट को लेकर बहुत सारे छात्र-छात्राएं निराशा और हताशा की तरफ बढ़ जाते हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। इस कड़ी में आज हम 2012 में पहले IPS और फिर 2016 में IAS का एग्जाम क्रैक करने वाली गरिमा सिंह की कहानी बताने जा रहे हैं।
Asianet News Hindi | Published : Feb 15, 2020 9:08 AM IST / Updated: Feb 15 2020, 02:50 PM IST
गरिमा सिंह मूलतः यूपी के बलिया के कथौली गांव की रहने वाली हैं। गरिमा के पिता इंजीनियर हैं। उनका शुरू से ही सपना रहा है कि उनकी बेटी देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास करे।
गरिमा सिंह की इच्छा शुरुआत में MBBS कर डॉक्टर बनने की थी। गरिमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए और हिस्ट्री से एमए किया। जिसके बाद वह सिविल सर्विस की तैयारी में लग गईं।
गरिमा के साथ एक ऐसा वाकया हुआ जिससे उन्हें पुलिस वालों से नफरत सी हो गई। गरिमा जब दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहीं थीं तो पढाई के दौरान वह एक मॉल से रात में हास्टल लौट रही थी। रात ज्यादा हो चुकी थी। तभी चेकिंग के लिए तैनात पुलिसवाले ने उनका रिक्शा रोक लिया। पुलिसवालों ने उनसे पूछा- रात में कहां से आ रही हो, कहां जाना है जैसे सवाल पूछने के बाद 100 रुपए का घूस मांगा। जब उन्होंने देने से मना किया तो वह परिवार को फोन कर रात में घूमने की शिकायत करने की धमकी देने लगा। थोड़ी बहस के बाद पुलिस वाले ने उन्हें जाने तो दिया।
उस घटना ने गरिमा के दिल में पुलिस के प्रति नफरत भर दी। साल 2012 में गरिमा ने सिविल सर्विस का एग्जाम दिया। वह पहले ही अटेम्प्ट में सिलेक्ट हुईं और उन्हें यूपी का IPS कैडर मिला।
IPS में सिलेक्ट होने के बाद वह ट्रेनिंग के लिए चली गईं। वहां से वापस आने के बाद उन्हें लखनऊ में 2 वर्षों तक ट्रेनी एएसपी का कार्यभार सौंपा गया। वह इस दौरान अपनी एक्टिवनेस और सही निर्णय के लिए फेमस रहीं। इसके आलावा वह झांसी में एसपी सिटी के रूप में भी तैनात रह चुकी हैं।
लेकिन गरिमा के पिता का सपना था बेटी IAS बने। इसके लिए गरिमा ने अपनी पढ़ाई जारी रखी । 2016 में उन्होंने फिर से सिविल की परीक्षा दी। इस बार भी उन्हें सफलता मिली। वह 55वीं रैंक हासिल कर IAS बनी। 2016 में गरिमा को झारखंड के हजारीबाग में पोस्टिंग मिली। समाज सेवा के क्षेत्र में विशेषकर बच्चों की शिक्षा पर काम करने का मौका मिला। हजारीबाग की आंगनवाड़ी की जर्जर हालत में थी। गरिमा ने मटवारी मस्जिद हजारीबाग की आंगनवाड़ी को गोद लिया। निजी खर्च पर उन्होंने आंगनवाड़ी की इमारत को नया रूप दिया। स्पोर्ट्स सामान, कुर्सी-टेबल, ब्लॉक, खिलौनो की व्यवस्था की।