आर्थिक तंगी व लोगों के ताने झेलने के बाद भी मां ने नहीं मानी हार, बेटी को बना दिया IAS

Published : Feb 19, 2020, 11:42 AM IST

करियर डेस्क.  फरवरी और मार्च में CBSE बोर्ड के साथ अन्य बोर्ड के एग्जाम भी स्टार्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही बैंक, रेलवे, इंजीनियरिंग, IAS-IPS के साथ राज्य स्तरीय नौकरियों के लिए अप्लाई करने वाले  स्टूडेंट्स प्रोसेस, एग्जाम, पेपर का पैटर्न, तैयारी के सही टिप्स को लेकर कन्फ्यूज रहते है। यह भी देखा जाता है कि रिजल्ट को लेकर बहुत सारे छात्र-छात्राएं निराशा और हताशा की तरफ बढ़ जाते हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। इस कड़ी में आज हम आपको मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले की कलेक्टर व 2012 बैच की IAS निधि निवेदिता की कहानी बताने जा रहे हैं। 

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आर्थिक तंगी व लोगों के ताने झेलने के बाद भी मां ने नहीं मानी हार, बेटी को बना दिया IAS
निधि मूलतः झारखंड के सिंदरी की रहने वाली हैं। वह मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं। निधि बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थीं लेकिन घर से उनको बहुत अधिक सपोर्ट नहीं मिलता था। उनके साथ समस्या थी कि वह लड़की हैं ,और लोग समझते थे कि लड़की होने की वजह से शादी करके दूसरे के घर जाना है।
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निधि की मां ही सही मायने में निधि की सफलता की धुरी हैं। निधि की मां ने उनकी हमेशा मदद की। एक कार्यक्रम के दौरान निधि ने मंच से ये बात कही थी कि मां को लोग ये कहकर नर्वस करने की कोशिश करते थे कि ये तो लड़की है ज्यादा पढ़-लिखकर ही क्या कर लेगी। कलेक्टर थोड़े ही बन जाएगी। लेकिन किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि आगे चल कर यही लड़की एक तेज-तर्रार कलेक्टर बनने वाली है।
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निधि ने ये भी बताया था कभी-कभी ज्यादा देर तक पढ़ने के लिए भी मुझे थप्पड़ खाना पड़ जाता था। लेकिन हर नाजुक मोड़ पर मेरी मां मेरे साथ हमेशा खड़ी मिलती थी। वह मेरी हौसलाआफजाई करती थीं। मैंने कभी स्कूल और किताबों तक ही पढ़ाई से समझौता नहीं किया।
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निधि ने पढ़ाई पूरी करने के बाद सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने साल 2012 में सिविल सर्विस का एग्जाम दिया और वह सिलेक्ट हो गईं। वह अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को खासकर देती हैं। उनका कहना था कि मां ने मेरे हर मुश्किल दौर में एक मां और पथप्रदर्शक दोनों की भूमिका निभाई है। सही मायने में ये सफलता मैं अपनी मां को समर्पित करती हूं।
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निधि निवेदिता की पहली पोस्टिंग झाबुआ में बतौर असिस्टेंट कलेक्टर हुई । इसके अलावा वह एकीकृत बाल विकास योजना की प्रोजेक्ट डायरेक्टर और इंदौर की अडिशनल कलेक्टर भी रह चुकी हैं। सिंगरौली जिले में जिला पंचायत CEO के तौर पर तैनाती के दौरान उन्होंने शौचालय बनवाने में घपला करने वाले पंचायत सचिव से उठक-बैठक करवाई थी। जिसके बाद वह काफी चर्चा में रही थीं।
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राजगढ़ की कलेक्टर निधि निवेदिता अपने काम को लेकर जितना सख्त हैं अंदर से वह उतना ही नरम दिल हैं। उन्होंने एक जरूरतमंद लड़की को खुद ब्लड डोनेट कर भी चर्चा में आई थीं। दरअसल राजगढ़ के ब्लड बैंक में बी पॉजिटिव खून नहीं था। लड़की के पिता की पोस्ट सोशल मीडिया पर देखकर वह अस्पताल पहुंचीं और खुद ब्लड डोनेट किया था।

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