गांव के हिंदी मीडियम स्कूल में की पढ़ाई, इंग्लिश नहीं आने पर फूट-फूटकर रोईं, फिर यूं बनी IAS अफसर

करियर डेस्क : कभी इंग्लिश में कमजोर होने के चलते फूट-फूटकर रोने वाली हिंदी बैकग्राउंड की सुरभि गौतम (Surabhi Gautam) ने जब देश की सबसे कठिन परीक्षा UPSC क्रैक की तो न जाने कितने हिंदी मीडियम के स्टूडेंट्स की प्रेरणा बन गईं। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना (Satna) के अमदरा गांव की सुरभि गौतम ने साल 2016 की सिविल सर्विसेज परीक्षा न केवल पास की बल्कि ऑल इंडिया 50वीं रैंक भी हासिल की। बेटी ने सफलता के झंडे गाड़े तो माता-पिता, फैमिली, गांव और जिला गर्व महसूस करने लगा। एडवोकेट पिता और टीचर मां की इस बेटी की लाइफ में कई चुनौतियां आईं लेकिन हार नहीं मानी और IAS अफसर बन बता दिया कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं। पढ़िए IAS सुरभि गौतम की बचपन से अफसर बनने तक की कहानी...

Asianet News Hindi | / Updated: Jul 04 2022, 07:00 AM IST
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गांव के हिंदी मीडियम स्कूल में की पढ़ाई, इंग्लिश नहीं आने पर फूट-फूटकर रोईं, फिर यूं बनी IAS अफसर

गांव में हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ाई
सुरभि की 12वीं तक की पढ़ाई गांव में ही सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल में हुई। वह शुरू से ही काफी मेहनती थी। जब वह पांचवीं में पढ़ाई कर रही थी तो उनके गणित में 100 में से 100 नंबर आए। तब उनकी टीचर ने कहा कि वह आगे बहुत ही बड़ा काम करेंगी। 10वीं में उनके 93.4 प्रतिशत नंबर आए। मैथ्स और साइंस में उन्होंने 100 अंक हासिल किए। उन्होंने परीक्षा टॉप की। 12वीं में उन्होंने टॉप किया और मेरिट लिस्ट में अपनी जगह बनाई।

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बीमारी भी बाधा नहीं बन सकी
12वीं के बाद सुरभि पर मुसीबतों का मानो पहाड़ सा टूट गया। उनके जोड़ों में बार-बार दर्द हो रहा था। पहले इसे नजरअंदाज किया लेकिन जब यह पूरे शरीर में फैलने लगा तो हालत ऐसी हो गई कि बिस्तर से उठ पाना भी मुश्किल होने लगा। गांव के पास अच्छे डॉक्टर नहीं थे तो माता-पिता उन्हें जबलपुर लेकर पहुंचे। वहां पता चला कि सुरभि को 'रूमैटिक फीवर' है। यह ऐसी बीमारी है, जिससे हार्ट को नुकसान पहुंच सकता है। कई बार तो इंसान का जिंदा रहना भी मुश्किल हो जाता है। इसके बाद सुरभि का यहीं इलाज चला और वे बीमारी को मात देकर आगे बढ़ निकलीं।

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न्यूज पेपर की एक लाइन ने बदल दी लाइफ
सुरभि बमारी थी, बावजूद इसके उन्हें हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में शानदार नंबर मिले। उनकी गिनती राज्य के सबसे होनहार स्टूडेंट्स में होती। ऐसे में न्यूज पेपर में कई खबरें छपीं। एक पेपर में लिखा कि बड़े होकर सुरभि कलेक्टर बनना चाहती हैं। जबकि तब सुरभि ने इसको लेकर कुछ सोचा ही नहीं था। फिर क्या था, अखबार की लाइन पढ़कर सुरभि ने ठान लिया कि वह एक दिन आईएएस अफसर बनकर रहेंगी।

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कॉलेज में इंग्लिश नहीं बोल पाईं तो रोने लगीं 
12वीं के बाद जब सुरभि ने राज्य इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा पास की तो भोपाल के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन्स में एडमिशन लिया। कॉलेज के पहले दिन फिजिक्स की क्लास थी और सभी स्टूडेंट्स इंग्लिश में अपना इंट्रोडक्शन दे रहे थे। जब सुरभि की बारी आई तो उन्होंने किसी तरह संभाल लिया लेकिन जब उनसे सवाल पूछा गया कि 'टेल मी द डेफिनिशन ऑफ पोटेंशियल' तब सुरभि इंग्लिश की वजह से जवाब नहीं दे पाईं। प्रोफेसर ने उनके कहा कि क्या आप वाकई 12वीं पास करके आई हैं? आपको एक बेसिक सवाल का जवाब भी नहीं पता। इसके बाद सुरभि खूब रोईं और फिर इतनी मेहनत की, अगले 6 महीने में उनकी इंग्लिश काफी अच्छी हो गई।

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IAS बनने से पहले 8 एग्जाम क्रैक
सुरभि ग्रेजुएशन के पहले सेमेस्टर में न सिर्फ कॉलेज, बल्कि पूरी यूनिवर्सिटी की टॉपर रहीं। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने जितने भी एग्जाम दिए सभी में उनका सेलेक्शन हुआ। कॉलेज में प्लेसमेंट के दौरान उनका टीसीएस में सेलेक्शन हुआ लेकिन जॉइन नहीं की। BARC, ISRO, GTE, SAIL, MPPSC, SSC, FCI और दिल्ली पुलिस परीक्षा में उन्होंने क्वॉलिफाई किया। साल 2013 में सुरभि ने आईईएस की परीक्षा पास करते हुए ऑल इंडिया फर्स्ट रैंक हासिल की। उसके बाद 2016 में सुरभि ने पहले अटेम्ट में ही यूपीएससी परीक्षा में 50वीं रैंक हासिल की। इस वक्त वह अहमदाबाद के विरमगाम जिले में सहायक कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। 

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