जब देश की सुरक्षा के लिए पाक में मुसलमान बनकर घूमते थे अजीत डोभाल, इंडिया के जेम्स बांड से जुड़ी 10 रोचक बातें

Published : Jan 20, 2021, 12:24 PM ISTUpdated : Jan 20, 2021, 12:26 PM IST

करियर डेस्क. Ajit Doval Birthday: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) अजीत डोभाल (Ajit Doval) को भारत का जेम्स बांड कहा जाता है। वो साल 1968 बैच के आईपीएस अफसर भी रहे हैं। बचपन से पढ़ाकू और तेज-तर्रार दिमाग वाले डोभाल को पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक का मास्‍टर माइंड माना जाता है। डोभाल पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर मात देकर लौटे हैं। उन्होंने पाक की आंतकी गतिविधियों के खिलाफ युद्ध की खुली चुनौती भी दी हैं। बालाकोट एयर स्ट्राइक हो, सर्जिकल स्ट्राइक हो या कश्‍मीर में कोई उठापटक सभी में डोभाल का जिक्र जरूर आता है। कम ही लोग जानते होंगे कि वह पाकिस्तान में अंडर कवर (undercover agent) एजेंट रह चुके हैं। आज 20 जनवरी को डोभाल का जन्मदिन (Birthday) है। आइए उनके जन्मदिन पर जानते हैं देश की सुरक्षा में अपनी जान दांव पर लगा चुके अजीत डोभाल से जुड़े रोचक किस्से- 

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जब देश की सुरक्षा के लिए पाक में मुसलमान बनकर घूमते थे अजीत डोभाल, इंडिया के जेम्स बांड से जुड़ी 10 रोचक बातें

अजित डोभाल फैमिली/एजुकेशन

 

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी, 1945 को अजीत डोभाल का जन्म हुआ है। वह एक आर्मी अफसर के बेटे हैं। अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया है।

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वे बचपन से ही पढ़ाकू रहे हैं। उन्होंने सिविल सेवा में भी अपना योगदान दिया है। वो 1968 केरल बैच के आईपीएस (IPS) अफसर रहे हैं। इसके चार साल बाद साल 1972 में वो इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गए। फिर एक के बाद एक कई अहम खुफिया ऑपरेशन्स का हिस्सा बनते चले गए।

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वह पाकिस्तान के लाहौर में भारतीय दूतावास में छह साल तैनात रहे। कहा जाता है कि वो भारत की सुरक्षा के लिहाज से सूचनाएं जुटाने के लिए लाहौर में मुसलमान बनकर भी वहां घूमे। 

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पाकिस्तान में रहे अंडरकवर एजेंट

 

अजित डोभाल पाकिस्तान में कई सालों तक अंडरकवर एजेंट (खुफिया जासूस) रह चुके हैं। उन्होंने एक इंटेलिजेंस से रिटायर होने के बाद एक समारोह में किस्सा सुनाया था जासूसी के दौरान उन्हें लगभग पहचान लिया गया था। किसी तरह वह बचकर निकले। अजित डोभाल ने पाकिस्तान में सात साल तक जासूसी की। उन्हें ही सर्जिकल स्ट्राइक का मास्टर माइंड माना जाता है।
 

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जासूसी करते लगभग पकड़े गए थे

 

अजित डोभाल जब पाकिस्तान में जासूसी कर रहे थे तब एक बार उन्हें लगभग पहचान लिया गया था। उन्होंने खुद बताया, पाकिस्तान में उन्हें एक शख्स ने कान के छिदे होने पर हिंदू की तरह पहचान लिया था।

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डोभाल के मुताबिक, वो शख्स उन्हें अलग से एक कमरे में ले जाकर सवाल कर रहा था। बाद में पड़ताल कर रहे शख्स ने बताया कि वो भी एक हिंदू ही है। 

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कीर्ति चक्र पाने वाले पहले पुलिस अफसर

 

डोभाल देश के इकलौते ऐसे पुलिस अधिकारी हैं जिन्हें कीर्ति चक्र से नवाजा गया है। आम तौर पर यह पुरस्कार सेना के अधिकारी को ही दिया जाता है लेकिन अजित डोभाल के कई ऐसे कारनामे हैं जो उनके अलावा कोई और नहीं कर सकता था। 1989 में अजित डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए ऑपरेशन 'ब्लैक थंडर' का नेतृत्व किया। 

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बताया जाता है कि स्वर्ण मंदिर के सामने खुद रिक्शावाला बनकर एक्टिव रहे। उन्होंने आतंकियों को यह भरोसा दिलाया कि वे आईएसआई के एजेंट हैं और उनकी मदद करने आए हैं। जब वे स्वर्ण मंदिर में घुसने में कामयाब हुए तो उन्होंने उनके बारे में सारी जानकारी बाहर निकाली।

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ऐसे उन्होंने स्वर्ण मंदिर से नक्शे, हथियारों और लड़ाकों की सारी जानकारियां जुटा लीं। वहीं पाकिस्तान में जासूसी से पहले उन्होंने जूते बनाने का काम भी सीखा जिससे खुफिया काम के दौरान किसी को शक न हो। 

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सर्जिकल स्ट्राइक के मास्टर माइंड

 

आप सभी ने उरी हमले के बाद भारत की पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में तो सुना ही होगा? क्या आप जानते हैं कि इसके मास्टर माइंड अजीत डोभाल ही थे। उन्हीं की देखरेख में पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था।

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म्यांमार पर भी भारत ने एक सर्जिकल स्ट्राइक की थी, उसे भी अजीत डोभाल की देखरेख में ही अंजाम दिया गया। अजीत डोभाल के निर्देशन में भारत कश्मीर से आतंकवाद का सफाया करने के लिए कई अभियान चला चुका है। 

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2005 में हो गए रिटायर 

 

डोभाल को भारतीय खुफिया एजेंसी में बेहद ताकतवर शख्स माना जाता है। साल 2005 में एक तेज तर्रार खुफिया अफसर के रूप में स्थापित अजीत डोभाल इंटेलीजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर पद से रिटायर हो गए। साल 2019 में एनएसए पद से रिटायरमेंट के बाद अजीत डोभाल को दोबारा पांच साल की नियुक्‍त‍ि दे दी गई। बता दें क‍ि भारतीय सुरक्षा क्षेत्र में उनके उल्‍लेखनीय कार्य को देखते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी मिला, इससे पहले उन्‍हें राज्‍यमंत्री का दर्जा मिला हुआ है। 

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