UP TET Exam Tips : कैसे करें घर बैठे UP TET परीक्षा की तैयारी, जानिए एग्जाम पैटर्न और सिलेबस की पूरी जानकारी

करियर डेस्क.  UP TET Exam Tips : उत्तर प्रदेश में शिक्षक पात्रता परीक्षा-2020 (UPTET-2021) इसी साल 2021 में आयोजित होगी। इस परीक्षा को पास करके कैंडिडेट्स सरकारी स्कूल में टीचर बनते हैं। ऐसे में टीचर बनने की तैयारी कर रहे करीब 10 लाख अभ्यर्थी टीईटी (TET) का इंतजार कर रहे हैं। क्या आप भी इस परीक्षा की तैयारी और एग्जाम को लेकर परेशान है। तो हम आपके लिए UP TET परीक्षा का सिलेबस और एग्जाम पैटर्न की पूरी जानकारी लेकर आए हैं। कैंडिडेट्स को सही स्ट्रेटजी के साथ अपनी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। बता दें कि टीईटी परीक्षा प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों शिक्षक बनने की पात्रता परीक्षा है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 5, 2021 9:07 AM IST / Updated: Mar 05 2021, 03:37 PM IST
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UP TET Exam Tips : कैसे करें घर बैठे UP TET परीक्षा की तैयारी, जानिए एग्जाम पैटर्न और सिलेबस की पूरी जानकारी

यूपी टीईटी का पैटर्न (UP TET Exam Pattern)

 

टीईटी परीक्षा में दो पेपर होते हैं।
परीक्षा में दोनों पेपरों में ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पूछे जाते हैं।
प्रत्येक पेपर में 150 प्रश्न पूछे जाते हैं।
सभी प्रश्न एक-एक अंक के होते हैं यानी प्रत्येक पेपर 150 अंकों का होता है।
परीक्षा में किसी तरह की निगेटिव मार्किंग नहीं होती।

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पहला पेपर 1 से 5वीं कक्षा का शिक्षक बनने की पात्रता के लिए होता है।
दूसरा पेपर 6 से 8वीं तक का शिक्षक बनने की पात्रता के लिए होता है।
जो अभ्यर्थी दोनों स्तरों के शिक्षक बनने की पात्रता हासिल करना चाहते हैं उन्हें दोनों पेपर देने होंगे
प्रत्येक प्रश्न पत्र 2:30 घंटे का होता है।
पहले पेपर में बाल विकास, प्रथम भाषा-हिंदी, दि्वतीय भाषा अंग्रेजी/उर्दू/संस्कृत, गणित, पर्यावरण अध्ययन विषयों से प्रश्न पूछे जाते हैं।
दूसरे पेपर में बाल विकास, प्रथम भाषा हिंदी, दि्वतीय भाषा अंग्रेजी/उर्दू/संस्कृत, गणित, विज्ञान, समाजिक विज्ञान से प्रश्न पूछे जाते हैं।

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यूपी TET के पहले पेपर का सिलेबस

 

1- बाल विकास - बाल विकास का अर्थ, आवश्यकता व क्षेत्र, बाल विकास की अवस्थाएं, शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, भाषा विकास आदि, सीखने का अर्थ और सिद्धांत, शिक्षण और शिक्षण विधाएं, समावेशी शिक्षा-निर्देशन एवं परामर्श, अधिगम और अध्यापन आदि।

 

2. भाषा-हिंदी/अंग्रेजी/ऊर्दू/संस्कृत- अपठित अनुच्छेद, हिंदी वर्णमाला, वाक्य रचना, भाषा विकास का अध्ययन आदि. अंग्रेजी में अनसीन पैसेज, संटेंस, संटेंस के प्रकार, नाउन, स्पीच, प्रोनाउन, एडवर्ब, वर्ब, एडजेक्टिव आदि।

 

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3.गणित- गणितीय/तार्किक चिंतन की प्रकृति, पाठ्यचर्या में गणित का स्थान, गणित की भाषा, शिक्षण की समस्याएं, सामुदायिक गणित आदि।

 

4.पर्यावरणीय अध्ययन- परिवार, भोजन्र आवास, नगर व्यवस्था, पर्यावरणीय अध्ययन की अवधारणा, महत्व, अधिगम सिद्धांत, क्रियाकलाप, समस्याएं आदि।

 

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यूपी TET के दूसरे पेपर का सिलेबस

 

1. बाल विकास और शिक्षण विधि- बाल विकास का अर्थ, आवयश्यकता व क्षेत्र, बाल विकास की अवस्थाएं शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, भाषा विकास – अभिव्यक्ति क्षमता का विकास, सृजनात्मकता एवं सृजनात्मकता क्षमता का विकास, बाल विकास के आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक, सीखने का अर्थ प्रभावित करने वाले कारक आदि।

 

2. प्रथम भाषा-हिंदी- अपठित अनुच्छेद, संज्ञा एवं भेद, सर्वनाम एवं भेद, विशेषण एवं भेद, क्रिया एवं भेद, वाच्य, हिंदी भाषा की समस्त ध्वनियों, संयुक्ताक्षरों, संयुक्त व्यंजनों एवं चंद्रबिंदु में अंतर, वर्णक्रम, शब्द युग्म, समास, विग्रह एवं भेद, मुहावरे एवं लोकोक्तियों, क्रिया, संधि एवं संधि के भेद, अलंकार, भाषा विकास का अध्यापन आदि।

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3. द्वितीय भाषा-अंग्रेजी/उर्दू/संस्कृत- अंग्रेजी में अनसीन पैसेज, नाउन, प्रोनाउन, संटेंस, संटेंस के प्रकार, नाउन, स्पीच, एडवर्ब, वर्ब, एडजेक्टिव आदि, उर्दू में- अपठित अनुच्छेद, ज़बान की फन्नी महारतों की मुलामात, तलफ्फुज की मश्क आदि, संस्कृत में - अपठित अनुच्छेद, संधि - स्वर एवं व्यंजन, अव्यय, समास, लिंग, उपर्सग आदि।

 

4. गणित- प्राकृतिक, पूर्ण, परिमेय संख्याएं, पूर्णांक, कोष्ठक लघुत्तम समापवर्त्य एवं महत्तम समापवर्तक, वर्गमूल, घनमूल, गणितीय/तार्किक चिंतन की प्रकृति, पाठ्यचर्या में गणित का स्थान, गणित की भाषा, सामुदायिक गणित, मूल्यांकन, समस्याएं, उपचारात्मक शिक्षण आदि।

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5. विज्ञान- दैनिक जीवन में विज्ञान, महत्वपूर्ण खोज, महत्व, मानव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सजीव एवं निर्जीव, जंतु की संरचना, सूक्ष्म जीव एवं उनका कार्य, प्राकृतिक विज्ञान/लक्ष्य और उद्देश्य, विज्ञान को समझना और उसकी सराहना आदि।

 

6. सामाजिक विज्ञान- इतिहास जानने के श्रोत, पाषाणकालीन संस्कृतिस, वैदिक संस्कृत, हमारा समाज, ग्रामीण एवं नगरीय समाज व रहन सहन, जिला प्रशासन, सौरमंडल में पृथ्वी, ग्लोब, प्राकृतिक संतुलन, पोषण, रोग, प्राथमिक उपचार, शारीरिक शिक्षा, व्यायाम, योग एवं प्राणायाम, खेल एवं पुरस्कार आदि।

 

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