Published : Apr 03, 2020, 10:10 AM ISTUpdated : Apr 04, 2020, 12:30 AM IST
मणिपुर. अगर इंसान के अंदर मेहनत करने की और मंज़िल तक पहुंचने की चाहत हो तो दुनिया की कोई भी ताकत उसे अपने सपने को पूरा करने से नहीं रोक सकती। हमारी आज की कहानी भी एक ऐसे ही शख्स की जिसने देश में नॉर्थ ईस्ट के जंगलों से निकल अफसर की कुर्सी हासिल की। खेतों में मजदूरी करने वाले इस लड़के ने तमाम चुनौतियों का मुकाबला कर मणिपुर के एक छोटे से समुदाय से निकल कर आईएएस ऑफिसर बनकर दिखाया। IAS सक्सेज स्टोरी में आज हम आपको अस्कर अली की कहानी प्रेरणा भरी कहानी सुना रहे हैं।
2016 बैच के आईएएस अधिकारी अस्कर एक ऐसे मणिपुरी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जो सदियों से हासिये पर खड़ी है। मीतेई-पंगल नामक यह समुदाय राज्य की आबादी का केवल आठ प्रतिशत है और शायद ही कभी किसी वजहों से मीडिया या लोगों के बीच चर्चा का विषय रहा हो।
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वर्षों से अवहेलना का शिकार हुए इस समुदाय को पहचान दिलाने के उद्देश्य से सस्कर अली ने भरपूर मेहनत की और आज सिर्फ अपने समुदाय के सामने ही नहीं बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
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अपनी कहानी साझा करते हुए अस्कर ने लिखा है कि जब मैं कक्षा 9 में था, तभी मेरे भीतर आईएएस बनने का सपना पैदा हुआ। स्कूल के दौरान, मैं अपने माता-पिता के साथ खेतों में काम करता था। यहीं से मेरे भीतर कठिन मेहनत करने की भावना पैदा हुई। आईएएस के पद तक पहुंचने में कई बार ऐसे मौके आए जब लोगों ने मेरे सपनों पर संदेह किया लेकिन मेरी कठिन मेहनत और जुनून ही था जिसने मुझे हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
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मैं जिस समुदाय से आता हूं वहां शिक्षा के माध्यम से प्रगति कभी प्राथमिकता नहीं रही है। शायद ही कोई होगा जिसने आईएएस बनने के सपने भी देखे होंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक करने के बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की। आर्थिक चुनौतियों के बावजूद भी उन्होंने अपनी तैयारी को जारी रखा और साल 2015 में सफलता हासिल करने वाले अपने राज्य से पहले शख्स बने।
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अपने आईएएस बनने की सफलता को वह एक बड़ी कामयाबी मानते हैं न सिर्फ अपने लिए बल्कि पूरे समुदाय के लिए। उनका मानना है कि यह भले ही एक छोटी सफलता है लेकिन यह दूसरों के लिए अनुसरण करने का एक उदाहरण होगा। शिक्षा कैसे सबकुछ बदलने की ताकत रखती है और इंसान को एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाती है, मैं इसका जीवंत उदाहरण हूं।
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उनका मानना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां से आए हैं और आप कौन हैं - एक आईएएस के रूप में आप एक भारतीय हैं और आपको देश के लिए काम करना चाहिए। जब हम अपनी विविधता को एक ताकत बनाते हैं, तो हम सबसे अच्छे और तेज़ी से प्रगति करेंगे, जब हम सभी को साथ लेते हैं और जब हम एक राष्ट्र के रूप में सोचते हैं।