Upsc Interview Tricky Questions: 2020 और 1986 की एजुकेशन पॉलिसी में क्या अंतर है? जानें जवाब

Published : Dec 28, 2021, 07:00 AM IST

करियर डेस्क.    संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा (Civil Services Exam) का आखिरी चरण पर्सनैलिटी टेस्ट (Personality Test) यानी इंटरव्यू (IAS Interview) होता है। यूपीएससी कैंडिडेट्स इसके लिए अलग से तैयारी करते हैं। आईएएस इंटरव्यू में पूछे गए सवालों की मॉक टेस्ट से तैयारी करने पर बहुत सी मुश्किलें हल हो जाती हैं। यहां अधिकारी इंटरव्यू में कैंडिडेट्स से काफी मुश्किल सवाल पूछते हैं। UPSC इंटरव्यू के सवाल कोर्स के बाहर के होते हैं ये कभी जरनल नॉलेज पर आधारित होते हैं। कैंडिडेट्स का कॉमन सेंस परखने के लिए कुछ ट्रिकी सवाल होते हैं। आइए जानते हैं इंटरव्यू  में पूछे जाने वाले ट्रिकी सवालों (Tricky Questions) के बारे में। 

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Upsc Interview Tricky Questions: 2020 और 1986 की एजुकेशन पॉलिसी में क्या अंतर है? जानें जवाब

सवाल- उज्ज्वला कैसी योजना है, लोगों  को  सिलेंडर तो दे दिए गए पर उनके पास दोबारा सिलेंडर रिफिल कराने के पैसे नहीं हैं?
जवाब-
मैं विशेष तौर पर ग्रामीण परिवेश से हूं। मैंने महिलाओं को 2 से 4 घंटे धुएं के बीच संघर्ष करते देखा है। यदि महिलाओं को उज्ज्वला योजना के जरिए सिलेंडर से थोड़ी राहत मिल रही है, उनका जीवन बेहतर हो रहा है, तो उसमें कुछ भी बुराई नहीं है। हां, यदि सिलेंडर दोबारा रिफिल नहीं कराया जा रहा है तो हम परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों को पुन: सिलेंडर सब्सिडाइज्ड करके या फ्री में देने के बारे में सोच सकते हैं और उसमें आने वाले खर्च की पूर्ति कहीं और से कर सकते हैं। यह योजना बुरी नहीं है, सफलता योजना है।

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सवाल- अफगानिस्तान में इंडिया और चाइना का स्टेक क्या है और इंडिया उसमें क्या कर सकता है?
जवाब-
इंडिया का स्टेक है कि अफगानिस्तान में यदि सिक्योरिटी का इश्यू होता है तो उसका असर हमारे देश में भी देखने को मिलेगा। वहां पर हमने काफी ज्यादा विकास किया हुआ है। वहां काफी पैसे लगे हुए हैं। तालिबान अगर कंट्रोल करता है तो इन सब चीजों का फायदा नहीं होगा। अफगानिस्तान में माइनिंग को यदि तालिबान कंट्रोल कर रहा है तो वह अपने हिसाब से किसी देश को आयात-निर्यात करेंगे तो ट्रेड वाली चीजें थोड़ी असंतुलित होंगी। चाइना में कुछ माइनॉरिटी कम्युनिटी है, जिनको थोड़ा दबाया जाता है और वह लोग मुस्लिम कम्युनिटी से आते हैं। तालिबान उस चीज का सपोर्ट करता है कि उन्हें दबाया न जाए। चाइना का सबसे बड़ा स्टेक है कि तालिबान उन लोगों को सपोर्ट न कर पाए। वह कैसे भी करके तालिबान के साथ कोआर्डिनेट करेगा।

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सवाल- न्यू एजुकेशन पॉलिसी और वर्ष 1986 की एजुकेशन पॉलिसी में क्या-क्या अंतर है, ऐसे तीन प्रावधान बताइए?
जवाब-
एक एनजीओ का सर्वे आया था। उसके हिसाब से जो कक्षा पांच में पढ़ रहे हैं। वह कक्षा तीन के स्तर का टेस्ट नहीं पढ़ पाते हैं। कक्षा 2 के स्तर का गणित नहीं हल कर पाते हैं। क्वालिटी आफ एजुकेशन खराब है। उस पर काफी ज्यादा फोकस है कि न्यूमरल और फाउंडेशन लिटरेसी को बढ़ाया जाए। दूसरा वोकेशनल एजुकेशन पर काफी ज्यादा फोकस है कि पढ़ने के साथ-साथ हम कुछ स्किल सीखें। स्किल डेवलपमेंट काफी ज्यादा जरूरी है। लोग पासआउट तो कर जाते हैं पर उन्हें रोजगार नहीं मिलता है। तीसरा प्राइमरी एजुकेशन के स्तर पर मातृभाषा में पढ़ाने की बात की गई है। विश्लेषण में पाया गया है कि यदि छोटी कक्षा के बच्चे अपनी मातृभाषा में पढ़ें तो ज्यादा चीजें ग्रहण कर पाएंगे।

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सवाल- डेटा एनालिटिक्स के गवर्नेंस में क्या यूज हैं?
जवाब-
डेटा एनालिटिक्स का प्रयोग सरकारी और निजी सेक्टर हर जगह पर है। निजी क्षेत्र डेटा का यूज करके अपना लाभ बढाते हैं। अपनी एफिशिएंसी बढाते हैं। जैसे—अमेजन से आपने एक प्रोडक्ट खरीदा, वह दूसरा रिकमंड करेगा। यह डेटा एनालिटिक्स ही है। सरकारी क्षेत्र में एविडेंस बेस्ड पॉलिसी मेकिंग होती है। उसका काफी चीजों में यूज है। अभी आईटी विभाग ने डेटा एनालिटिक्स का यूज करके क्रैक डाउन किया था कि कई लोग टैक्स चोरी कर रहे हैं। उनको पकड़ा जाए।
 

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सवाल- फेडरल स्ट्रक्चर में भाषा का मुददा कैसे समस्या खड़ी करता है, भाषा के स्तर पर डिमांड होने लगती है कि नया राज्य चाहिए, यह सब चीजें कैसे सही हो सकती है?
जवाब-
भाषा का मुददा हमेशा से ही रहा है। वर्ष 1960 में ज्यादा था पर अब सही हो गया है। अभी ऐसा कोई मांग नहीं आती है कि भाषा के आधार पर नया राज्य बनाया जाए। अगर सारे भाषाओं को बराबर का दर्जा दिया जाए। हिंदी को थोपना नहीं है। बाकि क्षेत्रीय भाषाओं को भी प्रमोट किया जाए। इससे सद्भाव सा रहेगा। इससे ऐसी फीलिंग नहीं आएगी की हमारी भाषा को दबाया जा रहा है।

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