गांव की सूखी नदी को खुदवाकर महिला IAS ने पोछे किसानों के आंसू...ईमानदारी के कायल हैं लाखों लोग


नई दिल्ली. कौन नहीं चाहता वो भीड़ में खास हो। लेकिन क्या खास होना बस सोचने भर से होता है। मेरा जवाब है नहीं । इसके लिए हमें कड़ी मेहनत और लगन की जरूरत पड़ती है। अगर हम इसमें सफल हो जाते हैं तभी हम एक मुकाम तक पहुंच पाते हैं। लेकिन मुकाम तक पहुंचने के बाद हमारी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। लोग हमसे आकांक्षाएं करने लगते हैं। लेकिन हमने अक्सर यह देखा है कि लोग एक पद पर पहुंच कर अपनी जिम्मेदारी और आकांक्षाओं को भूलनें लगते है। वे अपने पद और प्रतिष्ठा में मशगूल हो जाते हैं। लेकिन आज हम एक ऐसी महिला के बारे में बात करने जा रहे हैं जिन्होनें ना सिर्फ भीड़ में खास बनने के लिए कड़ी मेहनत की बल्की खास बनने के बाद भी अपनी कर्तव्यों और जिम्मेवारियों  को हर समय पुरा भी कर रही हैं। यही कारण है कि आज  इस महिला आईएएस की CM से लेकर PM तक सराहना करते हैं। 
 

Asianet News Hindi | Published : Apr 6, 2020 3:48 PM IST / Updated: Apr 06 2020, 09:32 PM IST
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गांव की सूखी नदी को खुदवाकर महिला IAS ने पोछे किसानों के आंसू...ईमानदारी के कायल हैं लाखों लोग
इस महिला अधिकारी का नाम है कंचन वर्मा। वर्मा। कंचन 2005 बैच की आईएएस ऑफिसर हैं। इनकी पहचान युपी में एक तेज तर्रार और समाज विकास के लिए सजग रहनें वाली आधिकारी की है। लोग इनकी ईमानदारी और कार्यशैली के कायल है।
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कंचन युपी के भदोही, फतेहपुर, मिर्ज़ापुर सहित कई जिलों में जिलाधिकारी के पद पर रह चुकी हैं। भदोही, फतेहपुर, मिर्ज़ापुर सहित कई जिलों में जिलाधिकारी के पद पर रह चुकी हैं।
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कंचन सबसे ज्यादा चर्चा में आईं साल 2012 में जहां उन्हें फतेहपुर के डीएम का पद सौपा गया था। जहां बतौर फतेहपुर जिलाधिकारी उन्होंने लगभग लुप्त हो चुकी ससुर खेडरी नदी और ठिठोला झील को एक नया जीवन देने का काम किया। उन्होंने 23 करोड़ की योजना तैयार कर इसे पास करवाया। इससे नदी तो पुनर्जीवित हुई ही साथ मनरेगा योजना के अंतर्गत स्थानीय मजदूरों को भी काम मिला।
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7 हेक्टेयर में फैली यह नदी सुख गयी थी और लोग उसपर खेती तक करनें लगे थे। पर कंचन नें एक पहल की और वहां 38 किमी खुदाई करवाई। नतीजा यह निकला की वह नदी फिर से अपनी पुरानें स्वरुप में बहनें लगी।
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जब उन्हें मिर्जापुर का डीएम बनाया गया तब वहां के शिक्षा व्यवस्था का खस्ता हाल देख वे खुद ही स्कूलों में पहुँच जाया करती थी। वे विद्यालयों का निरिक्षण करती थीं और कभी कभी शिक्षिका बनकर खुद बच्चों को मैथ व अंग्रेजी पढ़ानें लग जाती थीं।
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निरिक्षण के दौरान उन्होंने साढ़े तीन सौ से अधिक शिक्षकों के खिलाफ एडवाइजरी जारी की थी। कंचन ने हमेशा अपनें विभागीय जम्मेदारी के अलग हटकर जन जागरूकता के लिए काम किये।
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उनके काम का ही नतीजा था कि दर्जनों गावों को खुले में शौच मुक्त करवाया गया। उन्होंने ईंट भट्ठों पर शौचालय बनाने के बाद भी उन्हें एनओसी देने का प्रावधान किया जिससे स्वच्छता अभियान को और बल मिला।
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उनके काम का ही नतीजा था कि दर्जनों गावों को खुले में शौच मुक्त करवाया गया। उन्होंने ईंट भट्ठों पर शौचालय बनाने के बाद भी उन्हें एनओसी देने का प्रावधान किया जिससे स्वच्छता अभियान को और बल मिला।
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उसके बाद उनके इन्हीं कार्यों से प्रभावित होकर यूपी के सीएम योगी उन्हें गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण का वीसी बना दिया। सुखी झील व नदी को पुनर्जीवित करनें के लिए उन्हें स्थापना और औधोगिक विभाग की विशेष सचिव के पर होते हुए साल 2016 में उन्हें कॉमनवेल्थ असोसिएशन एंड मैनेजमेंट इंटरनेशनल इनोवेशंस आवर्ड से पुरष्कृत किया जा चूका है।
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सिविल सर्विस डे के मौके उनहे पीएम मोदी द्वारा यह पुरस्कार दिया गया था। इसके अलावा पीएम मोदी के ईमानदार आईएएस अफसरों की लिस्ट में कंचन वर्मा का भी नाम है।
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