बेटे को पढ़ाने मां ने दूसरों के घर सेंकी रोटियां...22 साल की उम्र में IPS बनकर लौटा बेटा, गांव में मना जश्न

करियर डेस्क.  संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में सफलता हासिल कर भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी या भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी (IAS or IPS Officer) बनने के लिए युवा दिलो-जान लगा देते हैं। उस पद पर पहुंचने वाले ज्यादातर युवा की अपनी एक कहानी होती है। कहानी मेहनत, संघर्ष और दृढ़ इरादों की। ऐसी ही एक कहानी हम आज आपको बता रहे हैं। ये कहानी है साफिन हसन की। जिन्होंने 2017 यूपीएससी परीक्षा में 570 रैंक हासिल की और मात्र 22 साल की उम्र में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी (IPS Officer) बने। न जाने ऐसी कितनी रातों को इन्हें खाना तक नसीब नहीं हुआ। ऐसी कई मुश्किलों को मात देकर साफिन हसन ने अपना लक्ष्य हासिल किया है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 12, 2020 2:25 PM IST / Updated: Dec 13 2020, 11:45 AM IST

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बेटे को पढ़ाने मां ने दूसरों के घर सेंकी रोटियां...22 साल की उम्र में IPS बनकर लौटा बेटा, गांव में मना जश्न

साफिन गुजरात के सूरत जिले के रहने वाले हैं। उनके माता-पिता हीरे की एक यूनिट में नौकरी करते थे। साफिन हसन ने बताया कि 2000 में उनका घर बन रहा था। उनके माता-पिता दिन में मजदूरी और रात में घर के लिए ईंट ढोते थे। उसी दौरान मंदी के चलते माता-पिता की नौकरी चली गई। उसके बाद उनके पिता ने घर चलाने और बच्चों को पढ़ाने के लिए घरों में इलेक्ट्रीशिन का काम करने के साथ-साथ रात में ठेला लगाकर उबले अंडे और ब्लैक टी बेची।

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संघर्ष में बीता बचपन, स्कूल ने फीस माफ की

 

हसन की मां नसीब बेन ने बेटे को 10वीं तक पढ़ाने के लिए 14 साल तक लोगों के घरों मे काम किया। दूसरी तरफ हसन की मां घर-घर जाकर रोटियां बनाने का काम करती थीं। न जाने कितने घंटे वे रोटियां ही बेलती रहती थीं। अपने माता-पिता का ये संघर्ष देखकर वे हमेशा सोचते की माता-पिता के लिए कुछ करना है। 

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 हसन ने 10वीं तक गांव में ही पढ़ाई की। उनकी खराब आर्थिक स्थिति देख कर पालनपुर के स्कूल ने 11वीं और 12वीं की फीस माफ कर दी थी। जब इंजीनियरिंग में दाखिला मिला, तो रिश्तेदारों ने फीस भरने में मदद की। यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली जाने के लिए ज्यादा पैसे चाहिए थे, तब गांव के हुसैनभाई और जरीना बेन ने मदद की।

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बचपन में ठान लिया अफसर बनूंगा

 

जब हसन 10 साल के थे, तो अपनी मौसी के साथ मेले में कलेक्टर की लाल बत्ती वाली कार देखी। कलेक्टर का रूतबा देख कर मौसी से पूछा, तो उन्होंने कहा- यह जिले के राजा हैं। तभी से हसन ने अफसर बनने का फैसला कर लिया था। हसन ने गुजरात पीएससी परीक्षा 34वीं रैंक के साथ पास की थी। उन्हें जिला रजिस्ट्रार की नौकरी भी मिली, लेकिन उन्होंने कोशिश जारी रखी और आईपीएस बनकर ही दम लिया।
 

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गुजरात पीएससी में हुए सफल

 

जून, 2016 में हसन ने तैयारी शुरू की। यूपीएससी और जीपीएससी की परीक्षा में बैठे। यूपीएससी की लिखित परीक्षा 570वीं रैंक के साथ पास की। गुजरात पीएससी में भी सफल हो गए। आईपीएस की ट्रेनिंग के बाद जामनगर में पहली पोस्टिंग हुई है। 23 दिसंबर को वह सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) का चार्ज लेंगे। हसन कहते हैं- किसी प्रवाह में शामिल होने की बजाय, सफलता के लिए हमें खुद अपना विश्लेषण करना चाहिए।
 

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परीक्षा से पहले हो गया एक्सीडेंट

 

यूपीएससी मैन्स के चौथे पेपर से ठीक पहले हसल का एक्सीडेंट हो गया था। सुबह 9 बजे से पेपर था और 8:30 बजे बाइक फिसलने से उनके घुटने, कोहनी और सिर में चोट लगी। दर्द के बीच हसन इस बात पर खुश थे कि राइट हैंड (दाहिना हाथ) ठीक था। हसन कहते हैं- यूपीएससी का पेपर लंबा होने के चलते, पेन किलर लेकर खुद ड्राइव कर एग्जाम सेंटर पहुंचा था। पेपर के बाद एमआईआर कराई, तो घुटने का लिंगामेंट टूटने का पता चला। पैर का ऑपरेशन करने की जरूरत थी, जो उन्होंने इंटरव्यू पूरा होने के बाद ही कराया।

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बुखार में दिया UPSC इंटरव्यू 

 

मार्च, 2018 में यूपीएससी का इंटरव्यू था। 20 फरवरी तक हसन की तबियत बहुत खराब थी। डब्ल्यूबीसी काउंट 30 हजार तक घट गया। इंजेक्शन लग रहे थे, लेकिन बुखार टूट नहीं रहा था। 15 मार्च को अस्पताल से छुट्टी लेकर दिल्ली पहुंचे, ताकि इंटरव्यू की तैयारी कर सकें। एक सप्ताह की तैयारी के साथ इंटरव्यू दिया। जब रिजल्ट आया, तो देशभर में सेकेंड हाईएस्ट मार्क्स मिले थे। सफीन की कहानी से लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। अगर हौसले बुलंद हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। 
 

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