मुंबई। पर्दे पर कई बार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की मां के रोल में नजर आ चुकीं निरूपा राय (Nirupa Roy) अगर आज हमारे बीच होतीं तो 90 साल की हो गई होतीं। 4 जनवरी 1931 को गुजरात के वलसाड़ शहर के एक मिडल क्लास फैमिली में जन्मीं निरूपा राय की गिनती बॉलीवुड की सबसे संजीदा एक्ट्रेस में होती है। अपने पांच दशक लंबे करियर में उन्होंने 275 से ज्यादा फिल्मों में एक्टिंग की। हालांकि फिल्मों में 'मां' के रोल के लिए फेमस रहीं निरूपा राय की पर्सनल लाइफ बेहद इमोशनल रही। निरूपा राय के परिवार में उनके दो बेटे योगेश और किरण के अलावा एक पोता और एक पोती हैं।
(फोटो साभार : बीते हुए दिन ब्लॉग से)
लेखक और फिल्म हिस्टोरियन शिशिर कृष्ण शर्मा ने निरूपा राय के मुंबई स्थित बंगले पर उनका इंटरव्यू लिया था। उन्होंने 2013 में अपने ब्लॉग पर उस इंटरव्यू की खास बातें शेयर की थीं। इसके मुताबिक, निरूपा राय का जन्म गुजरात के वलसाड़ में ट्रेडिशनल गुजराती चौहान फैमिली में हुआ था। उनके पिता किशोर चंद्र बलसारा रेलवे में कर्मचारी थे।
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फिल्मों में आने से पहले निरूपा का नाम कांता चौहान था। उनके मम्मी-पापा उन्हें प्यार से 'छीबी' कहकर बुलाते थे। कांता उर्फ निरूपा जब स्कूल में थीं, तभी उनके पिता ने उनकी शादी कमल राय से कर दी। उस वक्त निरूपा की उम्र महज 14 साल थी।
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शादी के बाद कांता का नाम बदलकर कोकिला रख दिया गया और 1945 में वो अपने पति के साथ मुंबई आ गईं। निरूपा रॉय के हसबैंड कमल राय राशन इंस्पेक्टर की नौकरी कर रहे थे। वो एक्टर बनना चाहते थे इसलिए ऑडिशन देते रहते थे।
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शादी के महज 4 महीने बाद कमल एक गुजराती फिल्म के लिए ऑडिशन देने गए थे। यहां वो अपने साथ पत्नी निरूपा को भी ले गए थे। डायरेक्टर फिल्म के लीड रोल के लिए हीरोइन खोज रहा था। उसने कमल को तो रिजेक्ट कर दिया, लेकिन निरूपा को देखते ही लीड रोल ऑफर कर दिया।
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पति के कहने पर निरूपा राय ने पहली गुजराती फिल्म 'रनकदेवी' की थी। यही नहीं, उस फिल्म के लिए उन्होंने अपना नाम कोकिला से बदलकर निरूपा राय रख लिया था।
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चूंकि उस जमाने में घर की बेटी का फिल्मों में काम करना बेहद बुरा माना जाता था। यह खबर जब निरूपा के मायकेवालें को पता चली तो उनके परिवार में हंगामा मच गया था। खासकर उनके पिता इस बात से बेहद नाराज थे।
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निरूपा राय ने इंटरव्यू में बताया था कि मेरे फिल्म साइन करने के बाद पापा ने कहा था कि वो मुझसे रिश्ता खत्म कर लेंगे। हालांकि गुजरते वक्त के साथ सभी ने मेरे फिल्मी करियर को अपना लिया था। लेकिन पापा अंतिम सांस तक अपनी कही बात पर अडिग रहे। मेरी मां मुझसे छुपकर मिलती थीं।
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बता दें कि निरूपा राय ने एक्टिंग की शुरुआत 1946 में की। उनकी पहली हिंदी फिल्म 'हमारी मंजिल' थी। साल 1951 में आई फिल्म ‘हर हर महादेव’ में उनके पार्वती के किरदार को लोगों ने बहुत सराहा और इसके बाद जब वे 'वीर भीमसेन’ में द्रौपदी के किरदार में आईं, तो लोग उनकी एक्टिंग के कायल हो गए।
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1975 में रिलीज हुई फिल्म 'दीवार' निरूपा की खास फिल्मों में से एक है। यश चोपड़ा के डायेरक्शन में बनी इस फिल्म में उन्होंने शशि कपूर और अमिताभ बच्चन की मां का किरदार निभाया था। आगे चलकर उनकी इमेज बिग बी की मां के रूप में ही बन गई, जिसे काफी सराहा भी गया।
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इसके बाद ‘खून पसीना’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘अमर अकबर एंथोनी’, ‘सुहाग’, ‘इंकलाब’, ‘गिरफ्तार’, ‘मर्द’ और ‘गंगा-जमुना-सरस्वती’ जैसी फिल्मों में भी वो अमिताभ की मां के रोल मे दिखाई दीं।
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90 के दशक के में रिलीज हुई फिल्म 'लाल बादशाह' में वो आखिरी बार अमिताभ बच्चन की मां के किरदार में नजर आई थीं। अपनी दमदार एक्टिंग से ऑडियंस के दिल को छू लेने वाली निरूपा राय का 13 अक्टूबर 2004 को निधन हो गया था।