इतना ही नहीं, इस कमरे में सोनू अकेले नहीं रहते थे, बल्कि 3-4 लोग और उनके साथ रहते थे। काम की तलाश में सोनू लोकल ट्रेन पकड़कर रोज सफर तय किया करते थे। फर्स्ट क्लास में 420 रुपए महीने के इस पास के सहारे वह घर से निकला करते थे। खैर, एक साल बाद ही उन्हें हिन्दी तो नहीं लेकिन साउथ इंडियन फिल्म में काम मिल गया और सोनू साल 1999 में तेलुगू फिल्म 'कल्लाजगार' से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की। हालांकि, इसके बाद भी लगातार 4-5 तेलुगू और तमिल फिल्मों में ही मौका मिला, लेकिन साल 2001 में आखिरकार बॉलीवुड ने उनके लिए दरवाजा खोल दिया।