जिस ढाबे का 22 दिन पहले उद्घाटन करने खुशी-खुशी अपने गांव गए थे धर्मेंद्र उसे इसलिए कर दिया सील
मुंबई. 22 दिन पहले 84 साल के धर्मेंद्र करनाल अपने जिस नए ढाबे का उद्घाटन करने खुशी-खुशी गए थे उसे नगर निगम द्वारा सील कर दिया है। नगर निगम की ओर से शुक्रवार को करनाल हाईवे पर अवैध रूप से निर्माण किए गए दो भवनों को सील किया गया। इनमें एक अन्य निर्माण के साथ धर्मेंद्र का ढाबा भी शामिल है। इस कार्रवाई में तहसीलदार करनाल राज बक्श को ड्यूटी मजिस्ट्रेट बनाया गया था। जैसे ही ढाबे को सील करने की कार्रवाई शुरू हुई तो उसका भारी विरोध किया गया, लेकिन बड़ी संख्या में पुलिस बल ने उन्हें रोक दिया। बता दें कि धर्मेंद्र फिल्मों से दूर अपने फॉर्महाउस में खेती-बाड़ी कर वक्त बीताते हैं। वे अक्सर अपने फॉर्महाउस से जुड़े वीडियोज और फोटोज इंस्टाग्राम पर शेयर करते रहते हैं।
Asianet News Hindi | Published : Mar 7, 2020 5:41 AM IST / Updated: Mar 16 2020, 11:15 AM IST
धर्मेंद्र 14 फरवरी को अपने इस ढाबे का शुभारंभ करने गए थे। ये ढाबा उनके गांव के पास करनाल हाई वे पर बनाया गया था। धर्मेंद्र ने इस ढाबे का नाम ही-मैन रखा था। आपको बता दें कि फेसबुक पर धर्मेंद्र का पेज भी ही मैन के नाम से ही है।
डीसी एवं निगम आयुक्त निशांत कुमार यादव ने कहना है कि हाईवे पर कई अवैध निर्माण की सूचना निगम के संज्ञान में आई थी। ऐसे निर्माण को रोकने के लिए निगम द्वारा अक्टूबर-नवंबर में 7 भवन मालिकों को नोटिस दिए गए थे। नोटिस के बाद किसी ने भी सही तरीके से जवाब देना उचित नहीं समझा था, इसी का परिणाम स्वरूप इन्हें सील करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने बताया कि 15 जनवरी को जो ऑर्डर जारी हुए थे उनमें सभी 7 भवनों को सील करने की कार्रवाई अमल में लाई जानी थी, लेकिन 4 भवन मालिकों ने न्यायालय से स्थगनादेश प्राप्त कर लिए। दूसरी और शेष 2 भवन मालिकों ने नोटिस के जवाब को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए शुक्रवार को सील कर दिया गया।
रिर्पोट्स की मानें तो जब निगम के कर्मचारी ढाबा सील करने पहुंचे तो वहां मौजूद ढाबे के स्टाफ से उनकी हाथापाई भी हुई। हालांकि, धर्मेंद्र की इस मामले में अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
ढाबे के शुभांरभ मौके पर धर्मेंद्र ने मीडिया से बात की थी। मीडिया से बात करते-करते धर्मेंद्र बेहद इमोशनल हो गए था। उन्होंने देश के महान शहीदों को नमन करते हुए कहा था कि देश सेवा के जज्बे से बढ़कर कुछ भी नहीं है। वे खुद एक्टर न बनते तो जरूर आर्मी में जाते और देश की सेवा करते। अपने प्रशंसकों की बेपनाह मोहब्बत का दिल से शुक्रिया अदा करते हुए उन्होंने कहा था कि वे जो भी कुछ हैं, अपनों के प्यार की बदौलत हैं।
धर्मेंद्र ने कहा था कि शोहरत और दौलत आती-जाती रहती है लेकिन प्यार हमेशा दिलों में बसा रहता है। हर इंसान ख्वाब देखता है, पर सबके सपने सच नहीं होते। एक गरीब जाट परिवार में जन्मे धर्मेंद्र ने एक सपना देखा था। यही सपना आंखों में संजोकर मुंबई गए थे।
धर्मेंद्र ने कहा था- किसान परिवार से हूं तो मैं चाहता था कि मु्ंबई में भी खेतों की खुशबू महसूस हो। इसी सोच के साथ लोनावला में फार्म हाउस बनाया। यहां जमकर मेहनत की, गाय-भैंस रखीं। गोबर उठाता हूं। अक्सर घास पर सोता हूं। खेती करता हूं। महाराष्ट्र की धरती पर गोभी और अन्य फसलें उगा रहा हूं। झील भी बना ली है। अब लगा कि इससे आगे बढ़कर एक ऐसा रेस्त्रां खोलूं, जिसके जरिए सभी तक सेहत के लिए बेहद फायदेमंद ऑर्गेनिक फूड पहुंचा सकूं। इसीलिए यह शुरुआत की है।