सुपुर्द-ए-खाक हुए 'सूरमा भोपाली', अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचा इंडस्ट्री का कोई भी बड़ा स्टार

मुंबई. फिल्म 'शोले' में 'सूरमा भोपाली' का किरदार निभाकर लोगों के दिलों में सालों तक राज करने वाले कॉमेडियन जगदीप का बुधवार को निधन हो गया।  81 साल की उम्र में भी जगदीप बेहद जिंदादिली से बीमारियों से जूझ रहे थे। कोरोना लॉकडाउन के दौरान वे काफी कमजोर हो गए थे और आखिरकार 8 जुलाई को अपने पीछे 6 बच्चे और नाती-पोतों से भरा परिवार छोड़कर दुनिया को अलविदा कह गए। उनके जाने से इंडस्ट्री को झटका लगा है। सेलेब्स ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उनका अंतिम संस्कार मुंबई के मुस्तफा बाजार मझगांव सिया कब्रिस्तान में किया गया। इसमें गिना-चुने लोग ही शामिल हुए। हालांकि, उनके अंतिम संस्कार में बॉलीवुड से कोई बड़ा स्टार नहीं पहुंचा। जॉनी लीवर और अनु मलिक ही उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 9, 2020 5:23 AM IST / Updated: Jul 10 2020, 10:15 AM IST
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सुपुर्द-ए-खाक हुए 'सूरमा भोपाली', अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचा इंडस्ट्री का कोई भी बड़ा स्टार

एंबुलेंस में जगदीप का पार्थिव शरीर कब्रिस्तान तक लाया गया था। बेटे जावेद और नावेद सहित परिवारवालों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।

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पिता जगदीप को अंतिम विदाई देने उनके बेटे जावेद और नावेद जाफरी घर से कब्रिस्तान पहुंचे थे। एहतियात के तौर पर परिवारवालों ने चेहरे पर मास्क लगा रखे हैं।

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अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे जॉनी लीवर और अनु मलिक।

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दादा के अंतिम संस्कार में शामिल हुए पोता मिजान।

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मध्‍यप्रदेश के दतिया से ताल्‍लुक रखने वाले जगदीप ने लगभग 400 फ‍िल्‍मों में काम किया और पर्दे पर कॉमेडी की म‍िसाल पेश की। वो कैंसर और उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे। फैंस उन्‍हें या तो जगदीप या सूरमा भोपाली के नाम से जानते थे। 29 मार्च 1939 को दतिया में पैदा हुए जगदीप का असली नाम था सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी। 

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मास्टर मुन्ना के नाम से उन्होंने फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट का काम शुरू किया। उन्होंने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर कई फिल्मों में काम किया, लेकिन बिमल रॉय की 'दो बीघा जमीन' ने उन्हें पहचान दिलवाईं। 

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1957 में आई डायरेक्टर पीएल संतोषी की फिल्म हम पंछी एक डाल में 18 साल के जगदीप के काम की बहुत तारीफ हुई थी। फिल्म में उनकी एक्टिंग देखकर भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू इतने खुश हुए थे कि जगदीप के लिए कुछ दिन तक उन्होंने अपना पर्सनल स्‍टाफ तोहफे में दे दिया था।  

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जगदीप ने तीन बहूरानियां, खिलौना, फुद्ददू, सास भी कभी बहू थी, गोरा और काला, बिदाई, आईना, एजेंद विनोद, युवराज, सुरक्षा, एक बार कहो, फिर वही रात, मोर्चा, कुर्बानी, पुराना मंदिर, शहंशाह, फूल और कांटे, अंदाज अपना अपना, चायना गेट जैसी कई फिल्मों में अभिनय कर लोगों का मनोरंजन किया था। 

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