कभी साबुन-कंघी बेचकर गुजारा करते थे सूरमा भोपाली, मात्र 3 रुपए के लिए निभाया था जगदीप ये रोल

Published : Jul 09, 2020, 09:47 AM ISTUpdated : Jul 10, 2020, 10:17 AM IST

मुंबई. कॉमेडियन जगदीप का बुधवार को मुंबई में निधन हो गया। जगदीप का असली नाम सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी था। वे जावेद जाफरी के पिता थे। जगदीप के दोस्त प्रोड्यूसर महमूद अली ने बताया कि बांद्रा स्थित घर में करीब 8.30 बजे उनकी मौत हुई। 81 साल की उम्र में भी जगदीप बेहद जिंदादिली से बीमारियों से जूझ रहे थे। कोरोना लॉकडाउन के दौरान वे काफी कमजोर हो गए थे और आखिरकार 8 जुलाई को अपने पीछे 6 बच्चे और नाती-पोतों से भरा परिवार छोड़कर दुनिया को अलविदा कह गए। बता दें कि जगदीप ने अपनी जिंदगी में काफी संघर्ष किया। उन्होंने लाइफ में तीन शादियां की थी।

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कभी साबुन-कंघी बेचकर गुजारा करते थे सूरमा भोपाली, मात्र  3 रुपए के लिए निभाया था जगदीप ये रोल

उनके पिता वकील थे। 1947 में देश का बंटवारा हुआ और उसी साल उनके पिता का भी निधन हो गया। परिवार दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो गया। उनका एक भाई यही में रहता था। जब मुंबई आए तो उनके पास कुछ नहीं था। सब बर्बाद हो गया था। कोठी, बंगला, पैसा सब खत्म हो गया था।

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उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था- मां यतीमखाने में रोटी बनाकर ताकि बच्चों को पाल सके और पढ़ा सके। लेकिन मुझसे मां की हालत देखी नहीं गई। मां की मदद के लिए स्कूल छोड़कर सड़क पर साबुन-कंघी और पतंगें बेचना शुरू कर दिया था। 

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एक इंटरव्यू में जगदीप ने अपने बचपन के संघर्ष को याद करते हुए कहा था- मुझे जिंदा रहने के लिए कुछ करना था, लेकिन मैं कोई गलत काम करके पैसा नहीं कमाना चाहता था इसलिए सड़क पर सामान बेचने लगा।

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बीआर चोपड़ा अफसाना नाम की फिल्म बना रहे थे और इसके एक सीन के लिए चाइल्ड आर्टिस्ट्स चाहिए थे। लिहाजा एक्स्ट्रा सप्लायर बच्चों को जमा कर लाया, जिनमें जगदीप भी थे। इस फिल्म में उन्होंने सिर्फ इसलिए काम किया, क्योंकि कंघी बेचकर दिनभर में  वो सिर्फ डेढ़ रुपए कमा पाते थे, जबकि अफसाना के सेट पर उन्हें सिर्फ ताली बजाने के 3 रुपए मिल रहे थे। 

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मास्टर मुन्ना के नाम से उन्होंने फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट का काम शुरू किया। उन्होंने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर कई फिल्मों में काम किया, लेकिन बिमल रॉय की 'दो बीघा जमीन' ने उन्हें पहचान दिलवाईं। 

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1957 में आई डायरेक्टर पीएल संतोषी की फिल्म हम पंछी एक डाल में 18 साल के जगदीप के काम की बहुत तारीफ हुई थी। फिल्म में उनकी एक्टिंग देखकर भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू इतने खुश हुए थे कि जगदीप के लिए कुछ दिन तक उन्होंने अपना पर्सनल स्‍टाफ तोहफे में दे दिया था।  

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जगदीप ने तीन बहूरानियां, खिलौना, फुद्ददू, सास भी कभी बहू थी, गोरा और काला, बिदाई, आईना, एजेंद विनोद, युवराज, सुरक्षा, एक बार कहो, फिर वही रात, मोर्चा, कुर्बानी, पुराना मंदिर, शहंशाह, फूल और कांटे, अंदाज अपना अपना, चायना गेट जैसी कई फिल्मों में अभिनय कर लोगों का मनोरंजन किया था। 

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जगदीप आखिरी बार 2017 में आई फिल्म 'मस्ती नहीं सस्ती' में नजर आए थे। इसमें उनके साथ जॉनी लीवर, कादर खान, शक्ति कपूर और रवि किशन जैसे स्टार्स नजर आए थे।

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