जब हीरोइन नहीं एक साधारण लड़की हुआ करती थीं कंगना, दूसरी बार भी बेटी पैदा होन पर निराश थी मां

मुंबई। कंगना रनोट (Kangana Ranaut) 34 साल की हो गई हैं। 23 मार्च, 1987 को हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के पास स्थित सूरजपुर (भाबंला) में जन्मी कंगना अपने बोल्ड किरदार, बड़बोलेपन, एक्टिंग स्किल्स और फिर पर्सनल लाइफ को लेकर हमेशा चर्चा में रहती हैं। कंगना ने कुछ साल पहले वुमन्स डे के मौके पर दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वे पैदा हुईं, तो उनके पेरेंट्स बिल्कुल भी खुश नहीं थे। मेरी बड़ी बहन रंगोली के जन्म के वक्त घरवाले खुश थे, लेकिन दूसरे बच्चे के तौर पर भी जब घर में लड़की हुई तो परिवार वाले निराश हो गए थे। कंगना के मुताबिक, उन्हें अनवॉन्टेड चाइल्ड माना जाता था।
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 22, 2021 2:03 PM IST
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जब हीरोइन नहीं एक साधारण लड़की हुआ करती थीं कंगना, दूसरी बार भी बेटी पैदा होन पर  निराश थी मां

कंगना के पिता अमरदीप रनोट बिजनेसमैन हैं, जबकि मां आशा रनोट स्कूल टीचर हैं। कंगना की बड़ी बहन रंगोली, उनकी फेवरेट हैं। रंगोली, कंगना की मैनेजर हैं। एसिड अटैक जैसे दर्दनाक हादसे से गुजरने और नए सिरे से जिंदगी जीने वाली रंगोली की लाइफ पर कंगना बायोपिक बनाने की इच्छा जता चुकी हैं। कंगना का एक छोटा भाई भी है, जिसका नाम अक्षत रनोट है। 

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कंगना की बड़ी बहन रंगोली चंदेल आज भले ही बतौर मैनेजर उनके साथ काम कर रही हैं, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब रंगोली को कंगना के साथ चलने तक में भी शर्मिंदगी महसूस होती थी। इस बात का खुलासा खुद रंगोली ने एक इंटरव्यू में किया था।

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रंगोली के मुताबिक, मुझे याद है, बचपन से उसे (कंगना) फैशन के कीड़े ने काट रखा था। भाबंला जैसी छोटी जगह में भी वह पब्लिक जगहों पर अजीबोगरीब कपड़े पहनती थी। वह शॉर्ट पेंट्स, व्हाइट शर्ट और हैट पहनकर घूमती थी। 
 

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रंगोली ने बताया था, छोटी-सी जगह में इस तरह के कपड़े पहनने से लोग सोचते थे कि वह अजीब है। मुझे उसके साथ चलने में शर्मिंदगी महसूस होती थी। तो मैं कंगना के साथ जाना अवॉइड करती थी। उसके ड्रेसिंग की वजह से डैड उसे लेडी डायना कहकर बुलाते थे।

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कंगना के माता-पिता चाहते थे कि उनकी बेटी डॉक्टर बने, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। एक्टिंग के लिए वो महज 15 साल की उम्र में बिना परमिशन लिए चंडीगढ़ से दिल्ली आ गईं थीं। दिल्ली में इंडिया हैबिटेट सेंटर में काफी मेहनत के बाद एक्टिंग करने को मिला। 5-6 महीने के बाद एक्टिंग वर्कशॉप के अरविंद गौड़ ने कंगना को मौका दिया। उनका पहला प्ले गिरीश कर्नाड का 'रक्त कल्याण' था।

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बैक स्टेज एक्टिंग करते-करते कंगना को एक बार एंकर बनने का मौका भी मिला। इस एंकरिंग को ही कंगना अपना पहला ब्रेक मानती हैं और इसके बाद वो घर में बिना बताए मुंबई के लिए निकल पड़ी थीं।
 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कंगना के घर से भागने और फिल्मों में काम करने की वजह से कंगना के पिता ने उनसे सालों तक बात नहीं की थी। कंगना ज्योतिष में काफी विश्वास करती हैं। वे जब भी मंडी आती हैं तो यहां के ज्योतिष लेखराज शर्मा से जरूर मुलाकात करती हैं।
 

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कंगना के मुताबिक, ‘बचपन में मैं बहुत आलसी हुआ करती थी। यहां तक कि नहाने में भी आना-कानी किया करती थी। मेरे घर वाले इस आदत से बहुत दुखी थे। अब मैं सोचती हूं कि शायद इसी कारण तब कोई मेरा दोस्त नहीं बना। हालांकि जैसे ही मैंने अपनी सफाई पर ध्यान देना शुरू किया, मेरे जीवन में बहुत कुछ अच्छा होना शुरू हो गया।

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2006 में कंगना ने 'गैंगस्टर' से फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ड डेब्यू एक्ट्रेस के फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया। फिल्म की सक्सेस के बाद उन्हें बॉलीवुड में मीना कुमारी की तरह ट्रेजडी क्वीन कहा जाने लगा था। 

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इसके अलावा कंगना ने 'फैशन', 'वो लम्हें', 'लाइफ इन मेट्रो', 'वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई', 'तनु वेड्स मनु', 'क्वीन', 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' और मणिकर्णिका जैसी सुपरहिट फिल्में दी हैं। मणिकर्णिका और पंगा के लिए उन्हें हाल ही में बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी मिला है।  

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