तो इसलिए मिथुन चक्रवर्ती को पापा नहीं बल्कि इस नाम से बुलाते है चारों बच्चे, इमोशनल करने वाली है वजह

मुंबई. बॉलीवुड में डिस्को डांसर के नाम से फेमस एक्टर मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) 71 साल के हो गए हैं। 1950 को कोलकाता में जन्मे मिथुन ने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। अपनी एक्टिंग के दम पर लाखों दिलों पर राज करने वाले मिथुन को बी-टाउन में लोग प्यार से मिथुन दा भी कहते हैं। वहीं, शायद यह बात कम ही लोग जानते है कि उनके चारों बच्चे उन्हें पापा नहीं कहते बल्कि कुछ और नाम से पुकारते है। इस बात का खुलासा खुद मिथुन ने रियलिटी शो के दौरान किया था। नीचे पढ़े आखिर क्या है इसके पीछे की वजह कि मिथुन को उनके बच्चे नहीं कहते पापा...

Asianet News Hindi | Published : Jun 17, 2021 5:13 AM IST
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तो इसलिए मिथुन चक्रवर्ती को पापा नहीं बल्कि इस नाम से बुलाते है चारों बच्चे, इमोशनल करने वाली है वजह

2019 में जब मिथुन चक्रवर्ती डांस रियलिटी शो सुपरडांसर चैप्टर 3 में गेस्ट बनकर पहुंचे थे तो उन्होंने बताया कि उनके बच्चे उन्हें पापा कहकर नहीं बुलाते। दरअसल, शो में एक कंटेस्टेंट ने बताया था कि वो अपने पापा को बहुत प्यार करता हैं और यही वजह है कि वह अपने पापा को ब्रो कहकर बुलाता है। 

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कंटेस्टेंट की ये बात सुनकर मिथुन ने खुलासा किया था- मैं 3 बेटों और 1 बेटी का पिता हूं लेकिन मेरा कोई भी बच्चा मुझे पापा कहकर नहीं बुलाता है बल्कि चारों मिथुन कहते हैं। मिथुन ने इसके पीछे का एक दिल छू लेने वाला किस्सा भी सुनाया था। 

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उन्होंने शो में बताया था- जब बेटे मिमोह का जन्म हुआ तो वो 4 साल की उम्र तक बोल नहीं पाता था। बस अक्षरों को बोलता था। एक दिन हमने उसे मिथुन बोलने को कहा और उसने बोल दिया। जब यह बात मिमोह के डॉक्टर को बताई तो उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है और मिमोह को मिथुन बोलने के लिए प्रेरित किया।

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उन्होंने बताया था- मिमोह के डॉक्टर की बात मानते हुए हमने उसे वही बोलना सिखाया। इसके बाद वो बड़ा हुआ और तबसे अब तक वो मुझे मिथुन ही कहकर बुलाता है। मिमोह के बाद दो और बेटे हुए और वो भी मुझे मिथुन बुलाने लगे। फिर जब बेटी आई तो उसने भी भईयों से यही कहना सीखा। 

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बहुत ही कम लोग जानते हैं कि मिथुन फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले वे एक कट्टर नक्सली थे। पारिवारिक कठिनाइयों की वजह से उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया और अपने परिवार में लौट आए थे। दरअसल, एक हादसे में उनके एकमात्र भाई की मौत हो गई थी। इसके बाद मिथुन ने खुद को नक्सली आंदोलन से अलग कर लिया।

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उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1976 में आई फिल्म 'मृगया' से की। इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला था। इसके अलावा अग्निपथ (1990), बंगाली फिल्म तहादर कथा (1992) और स्वामी विवेकानंद (1998) के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड मिला है।

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अब तक वे 350 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं। उन्होंने 'वारदात', 'अविनाश', 'जाल', 'डिस्को डांसर', 'भ्रष्टाचार', 'घर एक मंदिर', 'वतन के रखवाले', 'हमसे बढ़कर कौन', 'चरणों की सौगंध', 'हमसे है जमाना', 'बॉक्सर', 'बाजी', 'कसम पैदा करने वाले की', 'प्यार झुकता नहीं', 'करिश्मा कुदरत का', 'स्वर्ग से सुंदर' जैसी फिल्मों में काम किया है।

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उनका सबसे मुश्किल वक्त 1993 से लेकर 1998 के बीच का था। जब उनकी फिल्में लगातार फ्लॉप हो रही थीं। इस दौरान उनकी एक साथ 33 फिल्में फ्लॉप हुईं थी। लीड स्टार बनने से पहले मिथुन ने अमिताभ बच्चन की फिल्म 'दो अनजाने' (1976) में काम किया था। मिथुन इंडियन क्रिकेट लीग की टीम रॉयल बंगाल टाइगर्स के को-ऑनर भी रह चुके हैं।

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