राज ठाकरे ने ताऊ बाल ठाकरे की बात मान ली और शादी से पीछे हट गए। दरअसल, राज ठाकरे को लगता था कि बाल ठाकरे के बाद पार्टी की कमान उन्हें ही मिलेगी। ऐसे में उन्होंने ताऊ के फैसले के खिलाफ जाना उचित नहीं समझा और राजनीति के लिए मोहब्बत कुर्बान कर दी। हालांकि बाद में शिवसेना की कमान उद्धव ठाकरे को मिली और राज ठाकरे ने अपनी पार्टी बना ली।