'आप एक बात बताइए कि मैं जितनी बार भी इधर फ्लैट के सामने से निकली मैंने कभी लाइट जली नहीं देखी, हमेशा अंधेरा देखा। ऐसा क्यूं? अंधेरा क्यूं रहता था? मैंने कहा, 'मैं कोई किताब पढ़ने थोड़ी आता था वहां।' इसके बाद सभी ठहाके मारकर हंसने लगते हैं। वहीं, अर्चना पूरन सिंह का हंस-हंसकर बुरा हाल हो जाता है।