सोनू ने बताया कि इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक सरकार से उन्होंने मजदूरों को घर भेजने के लिए परमिशन ली, हां थोड़ी भागदौड़ करनी पड़ी और पहली दफा उन्होंने 350 लोगों को एकसाथ भेजा। एक्टर ने कहा कि उन लोगों की आंखों में आंसू थे, वो रो पड़े थे और उन्हें लगा ये वो 350 लोग हैं, जिन्हें हम भेज पा रहे हैं, लेकिन ऐसे हजारों लाखों लोग हैं, हिन्दुस्तान के कोने-कोने में जिन्हें वो भेज नहीं पाएंगे। इसके बाद एक्टर को लगा कि अब ये शुरू करना बहुत जरूरी है। फिर उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों के लोगों के लिए बिहार, उड़ीसा, झारखंड जैसे तमाम सरकारों से बातचीत की, उन्होंने परमिशन ली और फाइनली मजदूरों को उनके घरों में भिजवाने का काम शुरू किया।