बिलासपुर, छत्तीसगढ़. यह हैं जांजगीर मुढ़पार की रहने वाली 21 साल की दिव्यांग चंद्रिका। उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिंदगी में कभी घिसटते हुए मीलों चलना पड़ेगा। वे गुरुग्राम में ईंट भट्टे पर मजदूरी करती थीं। काम-धंधा बंद हुआ, तो साथी मजदूरों के साथ पैदल घर को लौट पड़ीं। करीब 170 किमी वे घिसटते हुए आगरा पहुंचीं। यहां यूपी पुलिस ने मजदूरों को खाना खिलाया और फिर गाड़ियों में बैठाकर आगे रवाना किया। चंद्रिका ने कहा कि इसके अलावा उनके पास दूसरा कोई जरिया भी नहीं था। चंद्रिका ने कहा कि यहां तो खाने-पीने तक के लाले पड़े गए थे। चंद्रिका और उसके साथ के 32 लोग पैदल गुरुग्राम से चलकर 5 दिन में आगरा पहुंचे थे।