प्रेमिका लिली से इस सीरियल किलर की पहचान अपने दोस्त मंगलू देवार के कारण हुई थी। देवार से उसकी मुलाकात जेल में हुई थी। जनवरी, 2005 में जेल से छूटने के बाद चंद्राकर हीरापुर गांव में बहादुर सिंह नामक शख्स के घर में किराए से रहने लगा। हालांकि बाद में उसने बहादुर सिंह की भी हत्या कर दी। मंगलू की एक रिश्तेदार थी अनुसुइया। चंद्राकर की पहचान उससे हुई। बहादुर की हत्या के बाद चंद्राकर अनुसुइया के मोहल्ले में आकर रहने लगा। यहीं, उसकी मुलाकात लिली से हुई थी। हत्याओं के बाद भी चंद्राकर लोगों के सामने सहज-सरल बना रहा। सभी हत्याओं के बाद वो अपनी सास-साली या कभी खुद के नाम से चिट्टियां लिखकर पोस्ट करने लगा। वो लिखता था कि गांव में सबकुछ ठीक है..कोई चिंता न करे।