बेहोश करके लोगों को जिंदा कब्र में दफन कर देता था यह साइको किलर, खून देखकर हंसने लगता था

रायपुर, छत्तीसगढ़. साइको किलर आम अपराधियों की तरह नहीं होते, जिन्हें आप आसानी से पहचान सकें। ये आपके बीच घुलमिलकर क्राइम को अंजाम देते हैं। इस साइको किलर अरुण चंद्राकर का नाम रायपुर के कुकुरबेड़ा में जनवरी 2012 में सामने आए जघन्य हत्याकांड के बाद चर्चाओं में आया था। फिलहाल, यह जेल में है। पुलिस एक लापता बच्ची की तलाश कर रही थी। इसी दौरान उन्हें एक गड्ढे में दफन बच्ची का शव मिला था। पुलिस ने आसपास पड़ताल की, तो अलग-अलग जगहों पर कुछ अन्य नरकंकाल मिले। इस घटना ने समूचे पुलिस प्रशासन को हिला दिया था। इस मामले में गिरफ्तार अरुण चंद्राकर ने माना था कि उसने अपने पिता, पत्नी और साली सहित 7 लोगों की एक-एक करके जान ली थी। उसे ऐसा करने में मजा आता था। इनमें से ज्यादातर को उसने बेहोश करके जमीन में जिंदा गाड़ दिया था। साइको किलर को इस मामले में 2017 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन आरोपी पुलिस को चकमा देकर भाग गया था। हालांकि 2 साल बाद उसे फिर पकड़ लिया था। तब यह बाबा बनकर घूम रहा था। साइको किलर ने बताया था कि उसे इस तरह लोगों की जान लेने का आइडिया निठारी(नोएडा) को देखकर आया था। बता दें कि निठारी में 29 दिसंबर, 2006 में पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर नामक शख्स के घर पर छापा मारा था। तब पंढेर के घर के पिछवाड़े से 19 कंकाल मिले थे। यह हत्याएं पंढेर ने अपने नौकर सुरेंद्र कोहली के साथ मिलकर की थीं। इनमें से ज्यादातर नाबालिग थे। पढ़िए आगे की कहानी..

Asianet News Hindi | Published : Jul 9, 2020 8:21 AM IST

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बेहोश करके लोगों को जिंदा कब्र में दफन कर देता था यह साइको किलर, खून देखकर हंसने लगता था

सीरियल किलर चंद्राकर ने पुलिस को बताया था कि वो पूरी प्लानिंग से हत्याएं करता था। वो हत्याओं के समय कभी उग्र नहीं होता था। एकदम ठंडे दिमाग से अपने काम को अंजाम देता था। इसके बाद घर के पिछले हिस्से में गड्ढा खोदकर लोगों को जिंदा गाड़ देता था।

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बता दें कि इस साइको किलर ने पत्नी लिली, साली पुष्पाद देवांगन और मकान मालिक बहादुर सिंह के अलावा पिता और अन्य तीन की हत्या करना कुबूल की थी। आरोपी ने पत्नी सहित चार लोगों को बेहोश करके जिंदा जमीन में गाड़ दिया था। वहीं, पिता को चलती ट्रेन में पत्थर मारकर मार डाला था।

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प्रेमिका लिली से इस सीरियल किलर की पहचान अपने दोस्त मंगलू देवार के कारण हुई थी। देवार से उसकी मुलाकात जेल में हुई थी। जनवरी, 2005 में जेल से छूटने के बाद चंद्राकर हीरापुर गांव में बहादुर सिंह नामक शख्स के घर में किराए से रहने लगा। हालांकि बाद में उसने बहादुर सिंह की भी हत्या कर दी। मंगलू की एक रिश्तेदार थी अनुसुइया। चंद्राकर की पहचान उससे हुई। बहादुर की हत्या के बाद चंद्राकर अनुसुइया के मोहल्ले में आकर रहने लगा। यहीं, उसकी मुलाकात लिली से हुई थी। हत्याओं के बाद भी चंद्राकर लोगों के सामने सहज-सरल बना रहा। सभी हत्याओं के बाद वो अपनी सास-साली या कभी खुद के नाम से चिट्टियां लिखकर पोस्ट करने लगा। वो लिखता था कि गांव में सबकुछ ठीक है..कोई चिंता न करे।

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सीरियल किलर अरुण चंद्राकर ने पुलिस को बताया था कि एक दिन उसने टीवी पर निठारी कांड की न्यूज देखी थी। उसे अच्छा लगा। इसके बाद वो लगातार इस कांड की खबरों पर नजर रखने लगा। फिर उसे भी ऐसा ही करने का मन होने लगा। वो निठारी कांड के आरोपियों के शातिर दिमाग का फैन हो गया था। सीरियल किलर ऐसा पिछले 6 साल से करता आ रहा था, लेकिन पकड़ा 2012 में गया। यानी निठारी कांड सामने आने के बाद से ही यह किलर लोगों को मारने लगा था।

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यह किलर छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के गुंडरदेही का रहने वाला है। यह एक मामूली चोर था। इसका पुलिस को रिकॉर्ड भी मिला था। इस घटना से पहले यह 24 बार जेल जा चुका था। चोरी करने की इसी आदत के कारण उसके पिता ने 1994 में इसे घर से निकाल दिया था।

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घर छोड़ने के बाद सीरियल किलर फुटपाथ पर अपनी जिंदगी गुजारने लगा। फिर 2008 में कुकुरबेड़ा की रहने वाली लिली से इसे लवमैरिज कर ली। वो लिली के घर में ही रहने लगा।

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फरारी के दौरान बाबा बनकर घूम रहा था सीरियल किलर।

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सीरियल किलर अरुण चंद्राकर को अपने किए पर कभी पछतावा नहीं रहा।

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हत्या के बाद लाशें वो अपने घर के पीछे ही गाड़ता रहा।

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सीरियल किलर ने माना कि उसे हत्या करने में आनंद मिलता था।

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