बेटे के अफसर बनाने के लिए पिता ने दिनरात चलाया ऑटो
अभिषेक ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए कहा कि जब वह मोजा पहनकर दौड़ते थे उसके दोस्त मेरा मजाक उड़ाते थे। कहते थे कि ऐसा भी कोई अफसर बनता है। लेकिन जब आज मेरा चयन हुआ तो वही मेरी कामयाबी पर सलाम कर रहे हैं। इस सफलता के पीछे मेरे पिता और पत्नी का बलिदान है। अगर वह मुझे इतना सपोर्ट नहीं करते तो आज .यहां नहीं पहुंच पाता। जब मैं 5 साल का था तो मां का निधन हो गया। इसके बाद पापा ने ही मुझे संभाला, दिनभर वह ऑटो चलाते और रात में लोरी सुनाकर सुला देते थे। साथ वह अक्सर कहते थे कि तुझे एक दिन बड़ा अफसर बनाउंगा, चाहे इसके लिए मुझे कितनी ही मेहनत क्यों ना करना पड़े। सच में उनकी बात सच हो गई।