3 किमी का रास्ता देखकर एम्बुलेंस ड्राइवर के फूल गए हाथ-पैर..तब बल्लियों पर लटकाकर गर्भवती की हुई 'नैया पार'

कोंडागांव, छत्तीसगढ़. यह तस्वीर भारत के ग्रामीण अंचलों..खासकर आदिवासी गांवों की हकीकत दिखाती है। दूर-दराज के गांवों में अब तक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। लिहाजा, अकसर ऐसी तस्वीरें सामने आती रहती हैं। बल्लियों के सहारे बनाई गई पालकी पर लटकाकर इस गर्भवती को किमी दूर खड़ी एम्बुलेंस तक लाया गया। क्योंकि गांव तक रास्ता इतना ऊबड़-खाबड़ था कि एम्बुलेंस वहां तक नहीं पहुंच सकती थी। यह अच्छी बात रही कि एम्बुलेंस का ड्राइवर और नर्स अच्छे लोग निकले और उन्होंने गर्भवती को लाने के लिए यह रास्ता निकाला। मामला कोंडागांव माकड़ी विकासखंड के मोहन बेडा गांव का है। बल्लियों का स्ट्रेचर बनाया..

Asianet News Hindi | Published : Jul 8, 2020 5:02 AM IST / Updated: Jul 08 2020, 10:37 AM IST
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3 किमी का रास्ता देखकर एम्बुलेंस ड्राइवर के फूल गए हाथ-पैर..तब बल्लियों पर लटकाकर गर्भवती की हुई 'नैया पार'

गर्भवती को एम्बुलेंस तक लाने के लिए स्ट्रेचर नहीं था। ऐसे में बांस को रस्सी से बांधकर पालकी बनाई गई। उस पर गर्भवती को बैठाया गया और फिर उसे एम्बुलेंस तक लाया गया। महिला ने एक स्वस्थ्य बेटी को जन्म दिया है। आगे पढ़िए..ऐसी ही कुछ अन्य घटनाएं..जो सरकारी खामियों या महिलाओं की परेशानी को दिखाती हैं..
 

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यह मामला छत्तीसगढ़ के कांकेर में पिछले दिनों सामने आया था। 12 साल की यह लड़की मानकी कांकेर जिले की ग्राम पंचायत कंदाड़ी के आश्रित गांव आलदंड की रहने वाली है। उसके गांव में कोई स्वास्थ्य सेवा नहीं है। लिहाजा, मजबूरी में मानकी को परिजन उसे कंधों पर टांगकर इलाज के लिए लेकर गए। करीब 5 किमी उसे ऐसे ही लटकाकर नदी तक ले गए। वहां, उन्हें घंटेभर तक नाव का इंतजार करना पड़ा। नदी पार करके 6 किमी दूर छोटेबेठिया उपस्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। उनके गांव से उपस्वास्थ्य केंद्र की दूरी करीब 14 किमी है। इसके बाद उसे इलाज मिल सका। आगे पढ़िए..सरकारी अव्यवस्थाओं की मारी मां-बेटी की कहानी...

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यह मामला छत्तीसगढ़ के ही महासमुंद का है। यह तस्वीर सरकारी कामकाज के तौर-तरीके को दिखाती है। करीब 100 साल की मां को चारपाई पर लिटाकर उसकी 60 वर्षीय बेटी बैंक पहुंची। मामला वृद्धा पेंशन से जुड़ा हुआ था। मामला खरियार ब्लॉक से जुड़ा हुआ था। चारपाई पर लेटी थी भले बाग और चारपाई खींच रही थी उनकी बेटी पूंजीमती। नाम बेशक बेटी का पूंजीमती है, लेकिन उनके एक-एक रुपया कीमती है। वृद्धा का जन-धन खाता है। इसमें 500 रुपए की तीन किश्ते जमा हो गई थीं। बैंकवालों ने कहा था कि पेंशन चाहिए, तो वेरिफिकेशन के लिए वृद्धा को बैंक आना होगा। मजबूरी में उनकी बेटी घर से करीब 500 मीटर दूर बैंक तक मां को चारपाई पर लिटाकर ले गई। वहां बैंकवालों ने वृद्धा का अंगूठा लिया, तब कहीं पेंशन मिल सकी। आगे पढ़िये..जब खटिया को लोगों ने 'एम्बुलेंस' बनाया

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यह शर्मनाक तस्वीर झारखंड के पश्चिम सिंहभूम से सामने आई थी। यह मामला बिशुनपुर प्रखंड के गढ़ा हाडुप गांव का है। यहां रहने वाले बलदेव ब्रिजिया के पत्नी ललिता को प्रसव पीड़ा हुई। उस हॉस्पिटल तक ले जाने का जब कोई दूसरा साधन नहीं दिखा, तो खटिया को लोगों ने 'एम्बुलेंस' बना लिया। यह तस्वीर कुछ दिनों पहले सामने आई थी। आगे पढ़िए हाईवे पर प्रसव...
 

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यह मामला पिछले दिनों मप्र के बड़वानी में एमपी-महाराष्ट्र के बिजासन बॉर्डर पर देखने को मिला। शकुंतला नाम की यह महिला अपने घर आ रही थी, रास्ते में उसने मुंबई-आगरा हाइवे पर बच्चे को जन्म दिया। इसके बाद भी उसे कोई सहायता नहीं मिली। वो पैदल ही बच्चे को लेकर चल पड़ी। 

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