भूमिगत खदानों से कोयला निकालने के लिए ब्लास्ट किए जाते हैं। इससे जो खदानें बंद हो चुकी हैं, उनकी खोखली जमीनें किसी भूकंप की तरह कांपती रहती हैं। दअसल, होना यह चाहिए कि जिन खदानों में काम बंद हो चुका है, उन्हें मलबे से भर देना चाहिए। लेकिन यहां ऐसा नहीं किया गया। इसी वजह से जमीन धंसक गई।