बिलासपुर, छत्तीसगढ़. कोरोना काल (Corona era) में डॉक्टरों के बर्ताव और अस्पतालों की व्यवस्थाओं को लेकर लोगों को काफी उम्मीदें हैं। लेकिन अब ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिन्होंने मानवता को शर्मसार कर दिया है। यह मामला एक गर्भवती से जुड़ा है। उसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर दो अस्पतालों ने न सिर्फ भर्ती करने से मना कर दिया, बल्कि उसकी कोई मदद भी नहीं की। वो 37 घंटे प्रसव पीड़ा से तड़पते हुए एक अस्पताल से दूसरे तक चक्कर काटती रही। एक बार सिम्स ने भी लौटा दिया। लेकिन दूसरी बार उसे भर्ती कर लिया। गनीमत रही कि समय पर प्रसव होने से मां-बच्चा दोनों स्वस्थ्य हैं। बता दें कि कोटा ब्लॉक के बहेरामुड़ा गांव की रहने वाली 22 वर्षीय शारदा रोहिणी को सोमवार की रात 10.30 बजे प्रसव पीड़ा (Labour pain उठी थी। परिजन उसे महतारी एक्सप्रेस से लेकर बेलगहना स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे। यहां महिला का कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर इलाज से मना कर दिया था। इसके बाद वे सिम्स पहुंचे। यहां से भी भगा दिया गया। गर्भवती इसके बाद करगीरोड कोटा स्वास्थ्य केंद्र पहुंची। जब यहां भर्ती करने से मना किया, तो वो फिर से सिम्स पहुंची। यहां दूसरी बार में महिला को भर्ती किया गया। आगे पढ़ें इसी घटना के बारे में...