जो अब कभी घर नहीं लौटेंगे, उनका चेहरा आखिरी बार देखकर फट गई अपनों की छाती

सुकमा. छत्तीसगढ़. ये तस्वीरें पत्थर दिल को भी रुला सकती हैं। शनिवार को नक्सलियों से लोहा लेने निकले करीब 500 जवानों में से 17 घने और खतरनाक जंगलों से वापस नहीं लौट सके। नक्सलियों ने गश्ती दल पर घात लगाकर हमला किया था। इसमें 17 जवान शहीद हो गए थे। रातभर उनकी लाशें जंगलों में पड़ीं रहीं। अगले दिन रविवार को सर्चिंग के बाद उनके शवों को जंगल से लाया जा सका। सोमवार को जब इन शहीद जवानों को पुलिस लाइन में श्रद्धांजलि दी गई, तो लोग फूट-फूटकर रो पड़े। जो लोग अनजान थे, वे भी खुद के आंसू नहीं रोक पाए थे। इस हमले में 12 जवान घायल हुए थे। उन्हें रायपुर रेफर किया गया है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 23, 2020 10:18 AM IST
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जो अब कभी घर नहीं लौटेंगे, उनका चेहरा आखिरी बार देखकर फट गई अपनों की छाती
बस्तर आईजी पी सुंदराज ने बताया कि शनिवार की दोपहर सुकमा के चितागुफा थाना एरिया के कसालपाड़ा और मिनपा के बीच नक्सलियों के मूवमेंट की खबर मिली थी। इसके बाद डीआरजी, एसटीएफ और कोबरा के 500 जवानों को सर्चिंग के लिए उतारा गया था। तभी यह हमला हुआ।
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नक्सली हमले में अपने बेटे के शहीद होने की खबर सुनकर लाजिमी है कि मां फूट-फूटकर रोएगी..लेकिन इस जवान की मां की आंखों में आंसुओं के साथ गर्व भी था। जब इसके शहीद होने की खबर लेकर थाना प्रभारी घर पहुंचे..तो वहां जो देखा-सुना..उससे वो भी रो पड़े। जब उन्होंने इस शहीद की मां से कहा कि खुद का संभालिए..तो जवाब मिला-'मेरा कलेजा बहुत मजबूत है...अब मेरा दूसरा बेटा भी फोर्स में जाकर देशसेवा करेगा!' अपना जवान बेटा खोने वाली एक मां को इस तरह कहते देख..वहां मौजूद लोगों की आंखों में भी आंसू निकल आए। अमरजीत खलखो जशपुर जिले के औरीजोरा हर्राड़ाड के रहने वाले थे। अमरजीत ने 2 साल पहले ही सीएएफ ज्वाइन किया था।  शहीद के पिता अमृत खलखो की 3 साल पहले करंट लगने से मौत हो गई थी। इसके बाद घर की सारी जिम्मेदारी अमरजीत के कंधे पर आ गई थी। घर में मां, छोटा भाई और नानी हैं। अमरजीत की शादी पक्की हो गई थी। जल्द उसकी शादी होने वाली थी।
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ये दोनों जवान छत्तीसगढ़ के एक ही जिले कांकेर के रहने वाले थे। संयोग से दोनों के नाम भी हेमंत थे। हेमंतदास मानिकपुरी 2017 में पुलिस फोर्स में भर्ती हुए थे। वे कुछ दिनों बाद अपने लिए लड़की देखने जाने वाले थे। इसके लिए उन्होंने छुट्टी मंजूर करा ली थी। वहीं, हेमंत पोया 2013 में एसटीएफ में भर्ती हुए थे। 10 महीने पहले ही उनकी शादी हुई थी।
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सोमवार को जब शहीदों के ताबूत तिरंगे में लपेटकर लाए गए, तो मंजर ह्रदयविदारक था। इस मौके पर मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, मंत्री कवासी लखमा, केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार विजय कुमार समेत पुलिस व प्रशासन के आला अफसरों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
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नक्सली हमले में शहीद जवान।
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