खाकी वर्दी पहन क्राइम खत्म करेगी ये किन्नर, सोलह श्रृंगार छोड़ 8 घंटे करती मेहनत..पढ़िए जज्बे वाली कहानी

Published : Mar 02, 2021, 05:28 PM ISTUpdated : Mar 02, 2021, 06:59 PM IST

रायपुर (छत्तसीगढ़). शुभ काम बधाई देने वाले और समाज में अलग-थलग रहने वाले किन्नर आज आम लोगों की तरह कदम-से-कदम मिला कर चल रहे हैं। बस उनको एक मौका मिले तो वह हर कठिन मंजिल को पा सकते हैं। ऐसा ही एक कमाल कर दिखाया है छत्तसीगढ़ की किन्नर अक्षरा ने जिसका छतीसगढ़ पुलिस में सलेक्शन हुआ है। अब वह लोगों के घर बधाई देने नहीं, बल्कि खाखी वर्दी पहनकर अपराधियों को पकड़ने के लिए जाएंगी। आइए जानते हैं किन्नर अक्षरा की सफलता की कहनी...

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खाकी वर्दी पहन क्राइम खत्म करेगी ये किन्नर, सोलह श्रृंगार छोड़ 8 घंटे करती मेहनत..पढ़िए जज्बे वाली कहानी


दरअसल, अंबिकापुर जिले के बौरीपारा महादेव गली में रहने वाली किन्नर अक्षरा ने कुछ दिन पहले ही पुलिस भर्ती परीक्षा की फिजिकल टेस्ट पास किया है। हालांकि इससे पहले वह पुलिस भर्ती के सारे एग्जाम पास कर चुकी हैं। आखिरी नतीजे में जब अक्षरा का चयन हुआ तो किन्नर समाज का खुशी का ठिकाना नहीं था।

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अक्षरा के घर बधाई देने वालों वालों का तांता लगा हुआ है। हर कोई उनके साथ सेल्फी लेकर मुंह मीठा कराकर शुभकामनाएं दे रहा है। किन्नरों का कहना है कि हमारे लिए यह बहुत गर्व की बात है कि हमारे समुदाय से आज कोई इस मुकाम तक पहुंचा है। अक्षरा ने अपनी सफलाता का श्रेय अपने गुरुदेव को दिया है।

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अक्षरा ने कहा कि जब वो बधाई देने जाती थी, तो बधाई छोड़कर वापस जा जाती थी, ताकि पुलिस भर्ती की तैयारी कर सके। मेरे गुरुदेव मुझे बीच में छुट्टी दे देते थे, वह चाहते थे कि तुझे जल्द ही इससे छुटकारा मिल जाएगा। मैं रोज दिन 8 घंटे अभ्यास करती थी, दौड़ लगाती और लंबी-ऊंची कूंद करती। मेरे साथ वालों को तो साथियों का शौक तो साड़ी और सोलह श्रृंगार करके रहना होता है, मगर मुझे पुलिस बनने का शौक था। आज वही शौक मेरे पूरा हो गया।
 

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अक्षरा का कहना है कि क‍िन्नर सिर्फ बधाई लेकर और ट्रेनों में भीख मांग कर अपना जीवन-यापन करते हैं। मुझे यह सब देखकर बहुत बुरा लगता था, लेकिन कुछ नहीं कर सकती थी। फिर मैंने अपने बचपन के शौक को पूरा करने के लिए जी तोड़ मेहनत करना शुरू कर दी। आज मेरे सालों का सपना साकार  हुआ है। अब खाकी वर्दी को देखकर मुझे गर्व महसूस होता था, में खुद अब देश की सेवा करूंगी।
 

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अक्षरा अपना गुरू तमन्ना जयसवाल को मानती है, जो कि अंबिकापुर जिले के किन्नर समाज हैं। उनका कहना है कि वह अक्षरा को अपनी बेटी मानते हैं, मेरा भी सालों से सपना था कि को खाकी वर्दी में दिखे। उसने अपनी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल कर लिया। मेरा एक ही सपना है कि मेरे ग्रुप में जितने भी पढ़े-लिखे किन्नर हैं उनकी जॉब लगे।

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छत्तीसगढ़ के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि जिन्हें हम कभी लोगों के सामने ताली बजाकर पैसे मागंते नाचते-गाते देखते थे अब वह खाकी वर्दी में नजर आएंगे। थर्ड जेंडर समुदाय के लोग अब अपनी सेवा छत्तीसगढ़ पुलिस में देंगे। इन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से पुलिस की बौद्धिक और शारीरिक परीक्षा पास की है।

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