यूं खतरनाक रास्तों पर 4 किमी पैदल चलकर नदी के बीचों-बीच शिवलिंग तक पहुंचते हैं भक्त, बाढ़ में भी नहीं डूबता

सुकमा, छत्तीसगढ़. भगवान शिव की पूरी लीला रहस्यों से भरी हुई है। दुनिया में ऐसे कई शिवमंदिर हैं..जिन्हें लेकर कई रोचक और हैरान करने वालीं किवदंतियां हैं। 21 फरवरी को शिवरात्रि पर शिवमंदिरों पर भीड़ उमड़ती है। देश-दुनिया में ऐसे भी कई शिवलिंग या शिवमंदिर हैं, जहां पहुंचना आसान नहीं होता..फिर भी भक्त वहां तक जाते हैं। ऐसा ही एक शिवलिंग छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले से करीब 7 किमी दूर तेलावर्ती गांव में मौजूद है। यह शिवलिंग यहां से बहने वाली शबरी नदी के बीचों-बीच मिट्टी के एक ऊंचे टीले पर विराजमान है। यहां तक पहुंचने के लिए करीब 4 किमी पैदल चलना पड़ता है। कई जगह रास्ता ऊबड़-खाबड़ है, तो एक जगह लकड़ी पर चढ़कर नदी पार करनी पड़ती है। कहते हैं कि जब कभी भी शबरी नदी में बाढ़ आती है, तो पानी सुकमा शहर तक पहुंच जाता है, लेकिन यह शिवलिंग नहीं डूबता। आइए जानते हैं इस रहस्यमयी शिवलिंग के बारे में...

Asianet News Hindi | Published : Feb 21, 2020 7:20 AM IST
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यूं खतरनाक रास्तों पर 4 किमी पैदल चलकर नदी के बीचों-बीच शिवलिंग तक पहुंचते हैं भक्त, बाढ़ में भी नहीं डूबता
मान्यता है कि शबरी नदी में कितनी भी बाढ़ आ जाए, यह शिवलिंग नहीं डूबता। किवदंतियां हैं कि सैकड़ों साल पहले दक्षिण भारत के दो साधू यहां से गुजर रहे थे। उन्होंने इस जगह पर रुककर घोर तपस्या की थी। इसी के लिए उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी।
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इस शिवलिंग के दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते हैं। महाशिवरात्रि पर यहां खासी भीड़ होती है। कहते हैं कि महाशिवरात्रि पर यहां मांगी गई हर मान्यता पूरी होती है।
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बारिश के दौरान भी लोग जान जोखिम में डालकर इस शिवलिंग तक आते हैं। लेकिन कभी कोई हादसा नहीं हुआ।
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शिवलिंग शबरी के बीच में है। यहां तक जाने के लिए कोई पुख्ता पुल या अन्य इंतजाम नहीं है। लिहाजा आज भी लोग लकड़ी के पुल पर चढ़कर शिवलिंग तक पहुंचते हैं।
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लकड़ी का यह पुल गांववालों ने ही बनाया है, ताकि भक्त शिवलिंग तक पहुंच सकें।
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