नक्सली गांवों में एके-47 और 25 किलो का बैग उठाकर बेखौफ घूमती देखी गई ये गर्भवती लेडी कमांडो, जानें पूरी कहानी
दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़. जिन नक्सल प्रभावित गांवों में जाने से पहले कोई सौ बार सोचे, यह लेडी कमांडो 7 महीने के गर्भ के बावजूद अपना फर्ज निभाती रही।..वो भी मुस्कराते हुए और पूरी जिंदादिली के साथ। इस कमांडो के ऊपर कोई दबाव नहीं था। हकीकत तो यह है कि पुलिस विभाग को मालूम ही नहीं था कि उसकी जाबांज लेडी कमांडो गर्भवती है। क्योंकि उसने खुद यह जानकारी विभाग को नहीं दी थी। इसके पीछे सिर्फ इतनी सी वजह थी..क्योंकि वो अपनी ड्यूटी से पीछे नहीं हटना चाहती थी। अब जबकि यह मामला सामने आया है, तो पुलिस विभाग ने अपनी लेडी कमांडो के साहस को सैल्यूट करते हुए फील्ड ड्यूटी से अलग किया है। दंतेवाड़ा के SP अभिषेक पल्लव ने asianetnews हिंदी को बताया कि यही लोग पुलिस की शक्ति हैं। जो हर परिस्थिति में अपनी ड्यूटी निभाते हैं।
कमांडो सुनैना पटेल ने अपनी ड्यूटी को कभी बोझ की तरह नहीं लिया। उनका मानना है कि पुलिस में हम सोच-समझकर आए..तो फर्ज बनता है कि उसे पूरी ईमानदारी, जोश और जज्बे के साथ निभाया जाए। बता दें कि बस्तर में मई 2019 को 'दंतेश्वरी फाइटर्स' का गठन किया गया था। इसमें महिला पुलिसकर्मियों के अलावा सरेंडर करने वालीं महिला नक्सली शामिल की गई हैं।
'दंतेश्वरी फाइटर्स' में 30 लेडी कमांडो हैं। यह टीम डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड्स (डीआरजी) के तहत कंट्रोल की जाती है। इस टीम के लिए बकायदा कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। इस टीम को लीड कर रही हैं सुनैना पटेल।
जब सुनैना इस टीम का हिस्सा बनीं, तो कुछ महीने बाद ही उन्हें अपनी प्रेग्नेंसी का पता चला। लेकिन उन्होंने अपने अफसरों को इस बारे में नहीं बताया। सुनैना कहती हैं कि वे अपने 'ऑपरेशन' को अधूरा नहीं छोड़ना चाहती थीं। उन्होंने गांवों में देखा है कि लोग किस तरह की जिंदगी गुजर-बसर कर रहे हैं। उन असहाय-बीमार लोगों को हमारी जरूरत है। इसलिए मैं बगैर किसी को बताए अपने ड्यूटी करती रही। हालांकि मैंने अपना और अपने बच्चे का भी पूरा ख्याल रखा।
सुनैना की टीम अकसर ऐसे गांवों में पहुंचती है, जहां आम आदमी आसानी से नहीं पहुंच सकता। कई जगह नदी-नाले..तो कई जगह पहाड़ पार करने पड़ते हैं। इन घने जंगलों में नक्सलियों का खतरा तो होता ही है। इस सबके बावजूद कमांडो को अपने कंधे पर एके 47 राइफल के अलावा दवाइयों और जरूरी चीजों से भरा करीब 25 किलो भारी बैग भी लादना पड़ता है। इन गांवों तक पहुंचने के लिए कोई गाड़ी आदि नहीं मिलती। आपको पैदल ही जाना पड़ता है।
सुनैना ने बताया कि अगर वे अपने गर्भवती होने की जानकारी अफसरों को दे देतीं, तो उन्हें फील्ड की ड्यूटी पर जाने से रोक दिया जाता। वे ऐसा नहीं चाहती थीं। सुनैना बताती हैं कि इस बारे में सिर्फ उनके पति को बताया था। उन्होंने हमेशा मेरा सपोर्ट किया।
हालांकि अब अफसरों को इस बारे में पता चला है। लिहाजा 7 महीने के गर्भ को देखते हुए सुनैना और उसके बच्चे की सेहत को देखते हुए उन्हें फील्ड ड्यूटी से रोक दिया गया है। सुनैना कहती हैं कि वे बच्चे के जन्म के बाद फिर से फील्ड ड्यूटी चाहेंगी।
डीआरजी टीम की प्रभारी डीएसपी शिल्पा साहू ने मीडिया को बताया कि सुनैना जैसी कमांडोज ही 'दंतेश्वरी फाइटर्स' की जान-शान हैं। इन्हीं की बदौलत हम अपने ऑपरेशन को सफल कर पाते हैं।
बता दें कि नक्सलियों के गढ़ में जब डीआरजी की टीम को भेजा गया था, तब सुनैना 45 दिनों तक दुर्गम गांवों में अपनी टीम के साथ मौजूद रहीं।
ये लेडी कमांडो सिर्फ नक्सलियों से लोहा नहीं लेतीं, बल्कि गांवों में हेल्थ कैंप चलाकर लोगों की मदद करना..नक्सलियों के बहकावे से लोगों को जागरूक करना आदि काम भी करती हैं।