गिरा गर्भ फिर भी नहीं मानी हार, 8 महीने की गर्भवती कमांडर नक्सलियों को दे रही मात, कुछ ऐसी है कहानी

दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़).  पूरे देश में अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है। आज सारी दुनिया नारी शक्ति को सलाम कर रहा है। इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के एक 'सुपर वुमन' के बारे में। जो लाखों करोंड़ों महिलाओं के लिए बहादुरी का शानदार उदाहरण पेश कर रही हैं। यह महिला कमांडर सुनैना पटेल है। जो कंधे पर बंदूक रखकर नक्सलियों के गढ़ दंतेवाड़ा में लोगों की सुरक्षा में तैनात है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 8, 2020 8:01 AM IST / Updated: Mar 08 2020, 02:09 PM IST

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गिरा गर्भ फिर भी नहीं मानी हार, 8 महीने की गर्भवती कमांडर नक्सलियों को दे रही मात, कुछ ऐसी है कहानी
बता दें कि सुनैना पटेल मूल रूप से छत्तीसगढ़ के बारसुर की रहने वाली हैं। वह अपने फर्ज के आगे और कुछ नहीं समझती। यहां तक कि वो लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल देती हैं। सुनैना पटेल आठ महीने की गर्भवती हैं और कुछ दिनों में उनकी डिलीवरी होने वाली है। यहां काम करना सुरक्षाकर्मियों के लिए खतरे से खाली नहीं होता। एक बार पट्रोलिंग करते समय ही सुनैना का गर्भ गिर गिया था इसके बावजूद भी वह अपनी चिंता छोड़कर दंतेवाड़ा के जंगलों में ड्यूटी कर रही हैं।
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सुनैना की हिम्मत और जज्बे को हर कोई सलाम करता है। यहां तक कि उनकी बहादुरी को देखकर नक्सलियों के भी पसीने छूट जाते हैं। वह नक्सलियों के गढ़ में घुसकर पहरा दे रही हैं और उनके लिए चिनौती दे रही हैं। सुनैना 30 लोगों की टीम को लीड करती हैं। वह नक्सलियों से निपटने के लिए बने जिला रिजर्व गार्ड में दंतेश्वरी फाइटर की कमांडर हैं।
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इंटरव्यू में बातचीत के दौरान सुनैना ने बताया था- जब मैंने ज्वाइन किया था तब मैं 2 महीने की गर्भवती थी। मैंने अपने कर्तव्यों को निभाने से कभी इनकार नहीं किया। आज भी अगर मुझसे पूछा जाए तो मैं इसे पूरी ईमानदारी के साथ करूंगी।
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सुनैना घने जंगलों में पट्रोलिंग करती हैं। पट्रोलिंग के दौरान उनकी पीठ पर भारी भरकम बैग और हाथ में वजनदार राइफल भी होती है। एक तरफ जहां डॉक्टरों ने उनको रेस्ट लेने की सलाह दी है। लेकिन वह किसी की नहीं सुनती हैं। क्योंकि वह नक्सलियों का खात्मा करना चहाती हैं।
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दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव कहते हैं कि इससे पहले एक बार पट्रोलिंग करते समय ही सुनैना का गर्भ गिर गिया था। आज भी वह छुट्टी लेने से इनकार कर देती हैं। उन्होंने कई महिलाओं को प्रेरित किया है। उनकी बदौलत यहां महिला कमांडो की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है। वह लाखों महिलाओं के लिए आर्दश हैं।
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