बकरियां चराने वाली 5वीं पास ये महिला बना चुकी है करोड़ों की कंपनी, PM और राष्ट्रपति कर चुके हैं तारीफ
रायपुर. 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस इस अवसर पर हम देश की कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने अपने जज्बा, जूनून और संघर्ष के बल पर एक अलग ही मुकाम बनाया है। इन्हीं में से एक हैं छत्तीसगढ़ की पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित फूलबासन बाई यादव। जिन्होंने लगन और मेहनत से अपनी जिंदगी तो सवांरी ही है। लेकिन इसके साथ-साथ ही लाखों महिलाओं के लिए रोजगार देकर एक अनोखी मिसाल कायम की है। फूलबासन बाई कभी दो वक्त के खाने के लिए मोहताज थी। लेकिन आज लाखों महिलाओं का समूह बनाकर एक सफलता की कहानी लिख रही हैं। उनकी हिम्मत और हौसले को हर कोई सलाम करता है। बता दें कि फूलबासन बाई राजनांदगांव जिले की रहने वाली हैं। वह महज 5वीं पास हैं। 12 साल की उम्र में सुकुलदैहान गांव के रहने वाले एक चरवाहे से उनकी शादी हो गई थी। वह खुद भी बकरी चराया करती थीं। उनके जानने वाले बताते हैं कि कई बार तो उनको खाना नहीं मिलता था। ग़रीबी के चलते कभी-कभी तो महीनों नमक नसीब नहीं होता और एक ही साड़ी को सुखोकर पहना पड़ता था।
Asianet News Hindi | Published : Mar 7, 2020 2:12 PM IST / Updated: Mar 07 2020, 08:19 PM IST
फूलबासन बाई का जीवन इतनी गरीबी में बीता है कि उनको अपने बच्चों का पेट भरने के लिए घर जाकर अनाज तक मांगना पड़ा है। लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और हर परेशानी का सामना किया। साल 2001 में उन्होंने एक 2 रुपये और दो मुट्ठी चावल से महिला समूह का काम शुरू किया। धीरे-धीरे उनके इस समूह से कई महिलाएं जुड़ी तो लेकिन, समाज के लोगों ने इसका भी विरोध किया। कहने लगे कि फूलबासन हमरी आपकी पत्नियों को हमारे खिलाफ खड़ा कर रही है। इन सबके बावजूद भी वह नहीं मानी और आगे बढ़ती गईं।
देखते ही देखते फूलबासन बाई बचत की स्व-सहायता समूह की बचत राशि करोड़ों में पहुंच गई। जो महिलाएं कल तक दसूरों से ब्याज पर पैसे उधार लेती थीं। आज वह दूसरों को अपनी कमाई से पैसा देती हैं। अब यह स्व-सहायता समूह प्रदेश के कई सामाजिक सरोकार के काम भी करने लगा। जैसे की अनाथ बच्चों की पढ़ाई और गरीब लड़कियों की शादी का खर्चा बेसहारा बच्चियों की शादी, गरीब परिवार के बच्चों का इलाज जैसो कई काम कर रहा है।फूलबासन बाई के इस स्व-सहायता समूह में आज करीब 2 लाख से ज्यादा प्रदेश की महिलाएं जुड़ी हैं। वह हर महीने इसके के जरिए 5 से 7 हजार रुपए घर बैठे कमाई कर रही हैं।
फूलबासन आज डेयरी, बकरी पालन, मच्छली पालन, खाद आदि जैसी कई कंपनी चला रही हैं और लाखों महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। इसके अलावा वह नशामुक्ति और खुले में शौच को लेकर भी कई अभियान चला रही हैं। फूलबासन बाई के इस सकारत्मक कार्यों की सराहना करते हुए नाबार्ड ने महिला सशक्तिकरण एवं महिला स्वयं सहायता समूह को करीब 900 करोड़ रूपए का अनुदान भी दिया है। इसके जरिए फूलबासन और उनकी कंपनी प्रदेश की हजारों महिलाों को स्वावलम्बी बनाने पर काम किया जाएगा।
2012 में फूलबासन बाई को बेहतर कार्य के लिए सम्मानित करती हुईं तत्कालिक राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल।
एक प्रोग्राम के दौरान फूलबासन बाई की तारीफ और सम्मानित करते हुए पीएम मोदी और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह।
एक कार्यक्रम के दौरान फूलबासन बाई को पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली सम्मानित करते हुए।
एक कार्यक्रम के दौरान फूलबासन बाई को सम्मानित करते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी।
फूलबासन बाई को सम्मानित करते हुए आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर महाराज।