13 साल की उम्र से फैन थे पुजारा; अब बांधे तारीफों के पुल- द्रविड़ ने मुझे सिखाया क्रिकेट के अलावा भी है LIFE

स्पोर्ट डेस्क.   भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) ने राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) की तारीफ करते हुए कहा कि उनमें गजब की काबिलियत है। वे नए खिलाड़ियों की मेंटल सिचुएशन को अच्छी तरह से समझते हैं और उसी के मुताबिक उनकी मदद भी करते हैं। पुजारा ने यह बात क्रिकेट वेबसाइट क्रिकेइंफो से कही। पुजारा ने कहा, ‘‘मैं भाग्यशाली हूं, क्योंकि जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया, तब द्रविड़ मेरे आसपास मौजूद थे। वे इस स्तर पर पहुंच चुके थे कि मुझे बता सकते थे और उन्होंने मुझे बताया भी कि अपने आप से क्या उम्मीद करना चाहिए।’’

Asianet News Hindi | Published : Jun 27, 2020 11:12 AM IST / Updated: Jun 27 2020, 04:49 PM IST
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13 साल की उम्र से फैन थे पुजारा; अब बांधे तारीफों के पुल- द्रविड़ ने मुझे सिखाया क्रिकेट के अलावा भी है LIFE

भारतीय टेस्ट बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा  ने कहा कि क्रिकेट से ध्यान हटा कर निजी जिंदगी के लिए समय के महत्व के बारे में बताने के लिए वह पूर्व दिग्गज राहुल द्रविड़  के हमेशा आभारी रहेंगे। पुजारा ने कहा कि उनके जीवन पर द्रविड़ के प्रभाव को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

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द्रविड़ ने तकनीक के साथ दूसरी जरूरी बातें भी बताईं

 

पुजारा ने कहा, ‘‘द्रविड़ ने मेरी मेंटल सिचुएशन को समझकर तब मदद की, जब मैं यंग था और शायद मैं तकनीक को लेकर सबकुछ नहीं जानता था। एक यंग क्रिकेटर के तौर पर मैं सारा ध्यान तकनीक पर ही फोकस करना चाहता था, तब उन्होंने मुझे इसकी जानकारी दी और बताया कि इसके साथ अन्य पहलू भी जरूरी हैं।”

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क्रिकेट से हटने के महत्व समझा

 

उन्होंने कहा कि द्रविड़ से सीखा है कि क्रिकेट को अलविदा कहने का सही समय क्या होता है। पुजारा ने कहा,  ‘‘मैंने काउंटी क्रिकेट में उन्हें देखा कि पसर्नल और प्रोफेशनल जीवन को कैसे अलग रखते हैं। मैं उनकी सलाह को बहुत महत्व देता हूं। मुझे यह भी पता है कि क्रिकेट को कब अलविदा कहना है।’’

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13 साल की उम्र से द्रविड़ का फैन

 

पुजारा ने कहा, ‘‘मैंने 8 साल की उम्र में पहली बार द्रविड़ को 2002 में बल्लेबाजी करते हुए देखा। उन्होंने एडिलेड में दोहरा शतक लगाया, जो उनकी पसंदीदा पारी रही। मैं 13 साल की उम्र में उनका फैन बन गया था। वे एक फाइटर थे। जब तक राहुल भाई क्रीज पर थे, तब तक विपक्षी टीम के लिए विकेट लेना मुश्किल था। वहीं, भारतीय टीम का स्कोर भी बढ़ता रहता था। टीम इंडिया को आउट करने के लिए विपक्षी को द्रविड़ को आउट करना जरूरी था, लेकिन वे डटे रहते थे।’’
 

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उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनकी तकनीक और स्वभाव को बारीकी से देखा और सीखा किया। जिस तरह से वे क्रिकेट पर बात करते हैं, उससे पता चलता है कि उन्हें बहुत ज्यादा ज्ञान है, लेकिन उन्होंने चीजों को कभी मुश्किल नहीं किया, बल्कि हमेशा अपने खेल को सरल ही रखा।’’

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