धोनी का कूल रहने का सीक्रेट बोले- 'खुद को इतना व्यस्त कर लीजिए कि भावनाएं हावी ही ना हो पाएं

स्पोर्ट्स डेस्क. एमएस धोनी (MS Dhoni) ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया है। धोनी ने बताया कि आखिर कैसे विपरीत हालातों में भी वे मन को शांत रख पाते हैं। वे कहते हैं-  ‘मुझे भी हर आम इंसान की तरह परेशानी होती है, चिढ़ भी आती है, खासकर, तब ज्यादा जब चीजें अपने पक्ष में नजर नहीं आतीं। लेकिन मैं हमेशा सोचता हूं कि क्या ये फ्रस्ट्रेशन हमारी टीम के लिए अच्छा है? ऐसे हालात में मैं यह सोचने की कोशिश करता हूं कि क्या किया जाना चाहिए।

Asianet News Hindi | Published : Aug 23, 2020 10:20 AM IST

19
धोनी का कूल रहने का सीक्रेट बोले-  'खुद को इतना व्यस्त कर लीजिए कि भावनाएं हावी ही ना हो पाएं

गलती किसी से भी हो सकती है...किसी एक से हो सकती है...पूरी टीम से हो सकती है कि हमारा जो प्लान था, चीजें उसके मुताबिक हो नहीं पाईं। ऐसे में सोचने की कोशिश करता हूं कि फिलहाल क्या बेहतर हो सकता है। फ्रस्ट्रेशन, चिढ़, गुस्सा, निराशा...इनमें से कुछ भी रचनात्मक नहीं है।

29

इसलिए मैं खुद को समझाता हूं कि इन सब भावनाओं से ऊपर वो काम है जो इस वक्त मैदान पर किया जाना है। ऐसे में मैं यह भी सोचने लगता हूं कि मुझे किस खिलाड़ी को क्या जिम्मेदारी देनी चाहिए, किस योजना पर काम करना चाहिए... इससे मुझे खुद पर काबू पाने में मदद मिलती है।

39

मैं खुद को इतना व्यस्त कर लेता हूं कि भावनाएं हावी नहीं हो पातीं। शायद इसीलिए आपको मैं मैदान पर ‘कूल’ महसूस होता हूं। मैं मानता हूं कि इंसानों में कई तरह की भावनाएं होती हैं और भारतीय तो भावनाओं में कुछ ज्यादा ही बहते हैं। इसलिए यह कहना बिल्कुल गलत होगा कि मेरे मन में भावनाएं नहीं आती हैं।

 

लेकिन मैं हर वक्त कोशिश करता हूं, इन भावनाओं पर नियंत्रण हासिल करने की, क्योंकि मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि अगर मैं भावनाएं काबू कर पाया तो ही ज्यादा रचनात्मक हो पाऊंगा।
 

49

क्रिकेट मैं सिर्फ खुश रहने के लिए खेलता था, बाद में लक्ष्य बनाया

 

क्रिकेट जब मेरे जीवन में आया था, तो मैं इसे सिर्फ मज़े के लिए खेलता था। मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि मैं देश के लिए खेलूंगा। मैं तो सिर्फ खुश रहने और अपने स्कूल की टीम के लिए खेलता था। फिर जब वहां अच्छा खेलने लगा तो आगे देखा... अंडर सिक्सटीन नजर आया... उसे खेला।

 

फिर जिले की टीम का हिस्सा बना तो राज्य के लिए खेलने की इच्छा भी जागी। धीरे-धीरे भारतीय टीम तक पहुंच गया। मैंने छोटे-छोटे लक्ष्य बनाए और उन्हें हासिल करके इंडियन क्रिकेट टीम तक पहुंच गया।
 

59

मुझे लगता है छोटे लक्ष्य हासिल करना ज्यादा आसान और मजेदार है, बड़े लक्ष्य सबको परेशान कर देते हैं। क्रिकेट को मैं जीवन समान ही मानता हूं, जिसमें कुछ तय नहीं होता और थोड़ा लक तो होता ही है। कितना रोचक है कि आप क्रिकेट मैच को एक सिक्का उछालने से शुरू करते हैं, जो किसी के भी पक्ष में गिर सक

69

परिवार की चिंता मैं दूर कर चुका था

 

ओपनर के लिए पहली गेंद से ही अनिश्चितता शुरू होती है। तीसरे नंबर का बल्लेबाज दूसरे ओवर में पिच पर आ सकता है और 25वें ओवर में भी। मेरे मामले में मैं मानता हूं कि अनिश्चितता कुछ कम रही क्योंकि भारतीय परिवार की सबसे बड़ी चिंता को मैं पहले ही दूर कर चुका था।

 

रेलवे की नौकरी के बाद मेरे घरवाले निश्चिंत थे कि क्रिकेट में इसका कुछ नहीं हुआ तो ये तो कर ही लेगा। लेकिन इसकी नौबत ही नहीं आई। मैं हर आने वाली कमियों को स्वीकारता चला गया। मैं अपने आप से ईमानदार रहा। जब तक आप खुद से ईमानदार नहीं रहेंगे, दूसरों से कैसे रह सकते हैं।

79

इससे आपको अपनी कमियां स्वीकारने में परेशानी नहीं होती। भले ही आप अच्छे खिलाड़ी नहीं हो, अच्छे इंसान नहीं हो लेकिन कमियों को स्वीकार करेंगे तो उन्हें दूर करने की कोशिश भी उतनी ही ईमानदारी से करेंगे। आप अपने परिवार से मदद मांगेंगे, सीनियर्स से या दोस्तों से मदद लेंगे।

 

 

89

मैंने ऐसा ही किया और आगे बढ़ता गया। मेहनत, किस्मत, सब्र, समर्पण...सब अपनी जगह ठीक है लेकिन मेरा मानना है कि खुद से ईमानदार होना सबसे अहम है। अगर मूल रूप से आप ईमानदार नहीं हैं तो आप चीजों को खुद ही उलझाते चले जाएंगे। ईमानदारी से ही मैं वहां पहुंच पाया जिसकी कल्पना मुझे खुद भी नहीं थी।’

99

मेरी सफलता का मंत्र

 

मेहनत, किस्मत, सब्र, समर्पण ... सब अपनी जगह है लेकिन मेरा मानना है कि खुद से ईमानदार होना सबसे अहम है। अगर मूल रूप से आप ईमानदार नहीं हैं तो आप चीजों को खुद ही उलझाते चले जाएंगे। हाल में धोनी और सुरेश रैना ने एक साथ एक ही दिन सन्यास घोषित कर दिया था। 

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos