पत्नी संग ससुराल में 'फंस' गया है ये दिग्गज क्रिकेटर, कभी अच्छे जूतों के लिए होना पड़ा था जलील

स्पोर्ट्स डेस्क। टीम इंडिया के तूफानी गेंदबाज उमेश यादव किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। 10 साल के करियर में उन्होंने हर मौके पर खुद को साबित किया है। करियर में अब तक क्रिकेट के अलग-अलग फॉर्मेट में 259 विकेट हासिल कर चुके गेंदबाज की फाइटर स्पिरिट तारीफ के काबिल है। हालांकि वो एक दिवसीय टीम से बाहर हैं और उनपर टेस्ट एक्सपर्ट बॉलर का लेबल भी लग गया है। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 11, 2020 9:39 AM IST
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पत्नी संग ससुराल में 'फंस' गया है ये दिग्गज क्रिकेटर, कभी अच्छे जूतों के लिए होना पड़ा था जलील

कोरोना वायरस की वजह विदर्भ का ये दिग्गज गेंदबाज फिलहाल पत्नी के साथ दिल्ली स्थित अपनी ससुराल में हैं। हालांकि फिटनेस को लेकर उनकी मेहनत जारी रखी है। उमेश यादव ने बताया है कि वो हर रोज ससुराल में पास के मैदान में दौड़ लगा रहे हैं। 

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उमेश यादव का करियर संघर्षों से भरा रहा है। टीम इंडिया तक का उनका सफर बिलकुल आसान नहीं था। ये गेंदबाज महाराष्ट्र के छोटे से इलाके में खेतों में खेलकर टीम इंडिया तक पहुंचा है। अपने शुरुआती दिनों को लेकर उमेश ने बताया था कि एक बार स्पाइक्स वाले जूते नहीं होने की वजह से उन्हें रिजेक्शन तक झेलना पड़ा था। 
 

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क्रिकबज से उमेश ने कहा कि एक छोटे टी 20 मैच में उन्हें खेलता देखने के बाद 30 समर कैंप में नागपुर बुलाया गया था। लेकिन कैंप के पहले ही दिन उन्होंने क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया था। दरअसल, उनके पास स्पाइक्स वाले जूते नहीं थे और उन्हें इसकी वजह से काफी जलील होना पड़ा। 

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उमेश यादव ने कहा कि कोच ने मुझे बुलाकर जूतों के बारे में पूछा। मैंने उन्हें बताया कि मेरे पास सामान्य जूते ही हैं और इसी में खेलना पड़ेगा। उमेश की बता सुनकर कोच भड़क गया। बुरा भला कहने के बाद उमेश को वहां से चले जाने को भी कहा। 

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दुखी उमेश ने लगभग क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया था। मगर उनके दोस्तों ने उन्हें संभाला। दोस्तों ने मिलकर उमेश के लिए स्पाइक्स वाले जूते खरीदे। क्रिकबज से उमेश ने कहा कि दूसरे खिलाड़ियों को एक हद तक संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन मेरा संघर्ष उनके मुक़ाबले बहुत ज्यादा है। 

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उमेश ने एक दूसरे इंटरव्यू में कहा है कि वो मानसिक रूप से काफी मजबूत हैं। और यही स्पिरिट उन्हें टिकाए हुए है। उमेश एकदिवसीय टीम में नहीं हैं, लेकिन उनके लिए क्रिकेट का कोई फॉर्मेट मायने नहीं रखता। वो क्लब से लेकर इंटनेशनल स्तर तक का मैच खेलने को तैयार रहते हैं। 10 साल में भारत की ओर से 46 टेस्ट और 75 वनडे खेल चुके इस गेंदबाज के लिए क्रिकेट बड़ी चीज है, बाकी चीजों का कोई मतलब नहीं।

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