जब 36 साल तक बिना मुख्यमंत्री के रही दिल्ली, विधायक चुनने के लिए तरस गए थे लोग
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों के लिए 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। इसके नतीजे 11 फ़रवरी को घोषित होंगे। सभी राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव को लेकर तैयारियां बहुत पहले ही शुरू कर दी थी। अब सभी पार्टियों के उम्मीदवार लोगों को लुभाने में जुट गए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश की राजधानी दिल्ली में एक ऐसा भी वक्त आया था, जब 36 साल तक यहां कोई भी मुख्यमंत्री नहीं रहा था। जी हां, इस राज्य में 36 साल के लिए गवर्नर रूल लागू कर दिया गया था। आपको बताते हैं, अब तक कैसा रहा दिल्ली विधासभा चुनाव का सफर और कितने रहे हैं मुख्यमंत्री:
Asianet News Hindi | Published : Jan 21, 2020 5:06 AM IST / Updated: Jan 21 2020, 11:23 AM IST
दिल्ली विधानसभा चुनाव का सफर 1952 से शुरू हुआ था। उस समय कांग्रेस नेता ब्रहम प्रकाश ने मुख्यमंत्री की शपथ ली थी। वो 2 साल 332 दिन तक सीएम रहे थे। उनके बाद 12 फरवरी 1955 में कांग्रेस के गुरुमुख निहाल सीएम बने थे। वो 1 साल 263 दिन तक सीएम रहे।
पहले विधानसभा चुनाव में दो सीएम के बाद 1956 में विधानसभा को भंग कर दिया गया। इसके बाद वहां 36 साल तक गवर्नर रूल लागू कर दिया गया।
36 साल तक दिल्ली में कोई भी मुख्यमंत्री नहीं रहा। लोग अपने पसंद का प्रतिनिधि नहीं चुन पाए।
आखिरकार 1993 में दिल्ली में अगला विधानसभा चुनाव हुआ। इस बार पहली बार दिल्ली में बीजेपी सत्ता में आई। मदनलाल खुराना सीएम बने। लेकिन उनका कार्यकाल 2 साल 66 दिन चला। इसके बाद साहिबसिंह वर्मा सीएम बने। उन्होंने भी 2 साल 288 दिन बतौर सीएम निकाले। इसके बाद दिल्ली को मिली पहली महिला सीएम वो भी सुषमा स्वराज के रूप में। हलांकीम, वो मात्र 52 दिन ही सत्ता में रह पाई।
इसके अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से शीला दीक्षित को सीएम बनाया गया। शीला दीक्षित ने लगातार 15 साल 25 दिन दिल्ली पर राज किया।
1998 से 2013 तक दिल्ली में कांग्रेस राज रहा। लेकिन 2013 में हुए चुनावों में आम आदमी पार्टी ने तख्तापलट कर दिया। कांग्रेस के साथ मिलकर आप ने सरकार तो बनाई लेकिन 49 दिन में ही इनमें फूट पड़ गई और सरकार गिरने के बाद एक साल तक वहां राष्ट्रपति शासन लग गया।
2015 में फिर से चुनाव हुए और इस बार फिर आप ने बहुमत से सरकार बनाई। सीएम अरविन्द केजरीवाल शीला दीक्षित के बाद दूसरे पूर्णकालिक सीएम बने।
अब 2020 में दिल्ली अपने नए नेता को चुनने के लिए पूरी तरह तैयार है।