Corona Fact Check. 10 सेकेंड तक सांस रोकने वालों को नहीं होगा कोरोना, अद्भुत अफवाह वायरल

Published : Mar 24, 2020, 05:10 PM ISTUpdated : Mar 25, 2020, 02:01 PM IST

नई दिल्ली. कोरोना वायरस के पूरी दुनिया में साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा लोग शिकार हो चुके हैं। इस जानलेवा वायरस के चलते भारत में भी मार्च में लॉक डाउन कर दिय गया है। पूरा देश बंद है। लोग घरों में कैद है। इस बीच सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को लेकर कई तरह की खबरें वायरल हो रही है। वायरल खबरों से लोग और ज्यादा आंशकित हो रहे हैं। अब फेसबुक और ट्विटर पर एक मैसेज तेजी से शेयर किया जा रहा है कि 10 सेकेंड तक सांस रोकने वालों को कोरोना नहीं होगा। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि आखिर इस खबर में कितनी सच्चाई है? 

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Corona Fact Check. 10 सेकेंड तक सांस रोकने वालों को नहीं होगा कोरोना, अद्भुत अफवाह वायरल
सोशल मीडिया पर कोरोने से जुड़ी कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही है। कोई वायरस से बचने के लिए घरेलू नुस्खे बता रहा है तो कोई इसके लक्षणों को जांचने के अजीबोगरीब तरीके साझा कर रहा है। शराब, भांग लहसुन का पानी और तुलसी अर्क तक को कोरोना का इलाज बताया जा चुका है। हालांकि ये सभी फर्जी दावे थे।
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वायरल पोस्ट क्या है? सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है जिसमें एक डॉक्टर दावा कर रहे हैं कि कोरोना वायरस की जांच इंसान घर बैठे मुफ्त में कर सकता है। इसके लिए किसी तरह के टेस्ट की आवश्यक्ता नहीं है। यूजर्स का दावा है कि यदि कोई इंसान अपनी सांस को पूरे 10 सेकंड तक रोक सकता है तो समझ लीजिए, उसका शरीर कोरोना वायरस की चपेट में नहीं है।
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क्या दावा किया जा रहा? 13 मार्च को फेसबुक पर डाले गए एक पोस्ट में इसके बारे में विस्तार से बताया गया था। इसमें कहा गया था कि यदि 10 सेकंड सांस रोकने पर किसी व्यक्ति को खांसी, गले में जकड़न या अन्य कोई समस्या नहीं होती तो वह इंसान बिल्कुल ठीक है।
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दावे की सच्चाई क्या है? सोशल मीडिया पर फैली ये जानकारी कोरी अफवाह है। असल सच्चाई यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के चीफ क्वालिटी ऑफिसर डॉक्टर फहीम यूनुस ने बताई है. डॉ. फहीम ने सोशल मीडिया पर किए जा रहे ऐसे दावों को महज अफवाह बताया है।
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डॉ. ने कहा, 'पूरी दुनिया में ऐसे कई कोरोना वायरस पीड़ित हैं जो 10 सेकेंड से ज्यादा अपनी सांस रोक पाने में सक्षम हैं। जबकि दूसरी ओर, कई बुजुर्ग कोरोना वायरस पीड़ित न होने पर भी इतनी देर अपनी सांस को नहीं रोक सकते।'
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नतीजा निष्कर्ष यही निकलता है कि इस अफवाह से लोग पैनिक हो सकते हैं और हो सकता है कोरोना संक्रमित या किसी बीमार को अस्पताल ले जाने की बजाय खुद ही ट्रीटमेंट करने लगे। इन मैसेज पर बिल्कुल भरोसा न करें।
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कोरोना वायरस जैसी महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है। आपदा के इस मौके पर जो लोग भ्रामक जानकारी शेयर कर रहे हैं या फर्जी खबरें बना रहे हैं वो बेहद असंवेदनशील हैं।

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