Fact Check: 21 जून यानि कल खत्म होने वाली है पूरी दुनिया? होश उड़ा देगी दावे से जुड़ी सच्चाई

नई दिल्ली. 21 जून को दुनिया खत्‍म (21 June End Of The World) हो जाएगी की एक भविष्यवाणी सोशल मीडिया और मीडिया में तेजी से वायरल हो रही है। इसको लेकर पूरे देश में लोग घबराए हुए हैं। वहीं अधिकतर लोग इसे सच नहीं मान रहे और बेफिक्र हैं। दरअसल दक्षिण अमेरिकी देशों में इस्‍तेमाल किए जाने वाले माया सभ्‍यता के कैलेंडर को लेकर ये दावा किया जा रहा है। इस कैलेंडर को लेकर भविष्यवाणी की जा रही है कि 21 जून यानि कल पूरी दुनिया खत्म हो जाएगी।

फैक्ट चेकिंग में हम आपको इससे जुड़ा सच बताने वाले हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jun 20, 2020 11:41 AM IST / Updated: Jun 20 2020, 05:29 PM IST
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Fact Check: 21 जून यानि कल खत्म होने वाली है पूरी दुनिया? होश उड़ा देगी दावे से जुड़ी सच्चाई

कोरोना महासंकट के बीच लोग कह रहे हैं कि, अभी सबसे खराब समय आना बाकी है। इस ताजा दावे के बाद कई लोग डरे हुए हैं और इंटरनेट पर अफवाहों का बाजार गरम हो गया है।

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वायरल पोस्ट क्या है? 

 

दुनिया के खात्‍मे का यह दावा इस बात पर आधारित है कि ग्रेगोरिअन कैलेंडर को वर्ष 1582 में लागू किया गया था। उस समय साल से 11 दिन कम हो गए थे। ये 11 दिन सुनने में तो बहुत कम लगते हैं कि लेकिन 286 साल में यह लगातार बढ़ता गया है। दुनियाभर में चल रही साजिशों पर नजर रखने वाले कुछ लोगों का दावा है कि हमें वर्ष 2012 में होना चाहिए। इस दावे को वैज्ञानिक पाओलो तगलोगुइन के एक ट्वीट से और ज्‍यादा बल मिला है। 

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क्या दावा किया जा रहा है? 

 

वैज्ञानिक पाओलो के ट्वीट के बाद अब लोगों का कहना है कि 21 जून 2020 दरअसल, 21 दिसंबर, 2012 है। बता दें कि वर्ष 2012 में भी इस तरह के दावे किए गए थे कि 21 दिसंबर को दुनिया का अंत हो जाएगा। दरअसल, इस पूरे दावे की शुरुआत उस दावे से हुई जिसमें कहा जा रहा था कि सुमेरिअन लोगों ने एक ग्रह नीबीरु की खोज की थी। निबिरू ग्रह अब पृथ्‍वी की ओर बढ़ रहा है। सबसे पहले दावा किया गया था कि मई 2003 में दुनिया का खात्‍मा हो जाएगा लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो इसकी डेट बढ़ाकर 21 दिसंबर 2012 कर दी गई।

 

दुनियाभर में साजिश करने वालों का दावा है कि वर्ष 2020 में पृथ्‍वी पर महामारी आई है, जंगलों में आग लगी है और टिड्ड‍ियों का हमला हुआ है लेकिन अभी और ज्‍यादा विनाशलीला अभी बाकी है। 

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सच क्या है? 

 

ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक दरअसल ये दावे वो लोग कर रहे हैं जिन्होंने कभी माया कैलेंडर को पढ़ा नहीं है और न ही कभी इस्तेमाल में लाया है। वहीं इस कैलेंडर से जुड़े इस दुनिया के खात्मे के दावे को खुद माया सभ्‍यता के लोग नहीं मानते हैं। बल्कि वो मानते हैं कि ये छोटी शदी के बदलाव जैसा होगा न कि दुनिया खत्म होने जैसा। 

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ये निकला नतीजा 

 

उधर, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का कहना है कि इस दावे का कोई विश्‍वसनीय वैज्ञानिक आधार नहीं है। इस तरह के दावे के केवल फिल्‍मों, किताबों और इंटरनेट चल रहे हैं। नासा का कहना है कि ये सारे दावे काल्पनिक है। इसका कोई सबूत नहीं है। उसने इन सब दावों को गलत ठहराया है।

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बीते कुछ महीनों से कोरोना का कहर जारी है। इस बीच ही उल्कापिंड  गिरने की ख़बरों ने भी लोगों को बेचैन कर दिया था। हालांकि नासा ने साफ़ किया कि इससे पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है। 

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इन खबरों के बीच सोशल मीडिया पर लोगों ने कई तरह की बातें कही। कई ऐसे लोग हैं जो इसे दुनिया के खत्म होने का संकेत मान रहे हैं। अब सूर्य ग्रहण के बीच लोग 21 जून का इन्तजार कर रहे हैं। अब उस दिन ही पता  चलेगा कि कौन सही है- किये जा रहे दावे या नासा। 

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