इसी दावे का पर्दाफ़ाश ए एफ पी ने भी किया था जब सोशल मीडिया पर इस कोविड-19 के स्व-परीक्षण की वकालत की जा रही थी। जिन वैज्ञानिकों ने ए एफ पी से बात की उन्होंने कहा की इस सांस लेने की तकनीक से फ़ायब्रोसिस का पता लगाना मुमकिन नहीं है क्यूँकि फ़ायब्रोसिस काफ़ी सालों तक क्रॉनिक एक्सपोजर से होता है और यह कोविड- 19 जितना जल्दी नहीं होता।
विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार कोविड-19 के लक्षणों में बुखार, सूखी ख़ासी और थकान शामिल है। कुछ पेशंट्स को दर्द, नाक में रूकावट, खारा गला या दस्त भी हुए हैं। पांच में से एक पेशंट को सांस लेने में मुश्किल होती पायी गयी है।