बाढ़ में डूबी झोपड़ी पर हफ्तों बैठा रहा परिवार...दर्दनाक तस्वीर देख रो पड़े लोग, क्या बिहार के हैं ये हालात?

फैक्ट चेक डेस्क. Bihar Flood Viral Family Photo Fact Check: असम और बिहार में आई बाढ़ के कारण वहां के लोग तमाम परेशानियों का सामना कर रहे हैं। रोजाना कई ऐसी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होती हैं, जिनमें लोगों को प्रकृति के कहर से जूझते हुए देखा जा सकता है। इस बीच बिहार की बाढ़ को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है। तस्वीर में कुछ लोग पानी में आधी डूब चुकी एक झोपड़ी की छत पर बैठे दिख रहे हैं, जिनमें कुछ छोटे बच्चे भी हैं। दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीर बिहार की है।

 

फैक्ट चेक (Fact Check) में आइए जानते हैं कि आखिर इस तस्वीर की असली कहानी क्या है? 

Asianet News Hindi | Published : Jul 31, 2020 10:50 AM IST / Updated: Jul 31 2020, 04:26 PM IST

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बाढ़ में डूबी झोपड़ी पर हफ्तों बैठा रहा परिवार...दर्दनाक तस्वीर देख रो पड़े लोग, क्या बिहार के हैं ये हालात?

दरअसल, बिहार में इस साल चुनाव होने की संभावना है। चुनाव के मद्देनजर तस्वीर के साथ तंज कसते हुए कहा जा रहा है कि 'बिहार विकसित हो गया है' और 'नीतीश कुमार को एक बार फिर' सत्ता में वापसी करनी चाहिए।

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वायरल पोस्ट क्या है? 

 

तस्वीर के कैप्शन के मुताबिक, “ये बंदरा के सकरी-चांदपुरा की तस्वीर है। बागमती की बाढ़ से टापू बने गांव में ये परिवार हफ़्ते भर से यू हीं गुजर-बसर कर रहा है।” एक और यूज़र ने इस तस्वीर को बिहार बाढ़ की बताकर शेयर किया है।

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हमने पाया कि हिन्दुस्तान अख़बार में 30 जुलाई, 2020 को मुज़फ़्फ़रपुर एडिशन के तीसरे पन्ने पर इस तस्वीर को जगह मिली है। फेसबुक, ट्विटर सभी जगह ये फोटो भंयकर शेयर की गई है। बाढ़ से जुड़े और भी फ़ोटोज़ और वीडियोज़ सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे हैं लेकिन लोग इस तस्वीर को देख इमोशनल हो उठे। 

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फ़ैक्ट-चेक

 

इस तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने पर कई ऐसे वेबसाइट्स के लिंक मिले जहां इसे बांग्लादेश का बताया गया है। ग्लोबल सिटिज़न के 2015 के आर्टिकल में इस तस्वीर को बांग्लादेश का बताया गया है। यानी जो तस्वीर कम से कम 2015 से इंटरनेट पर मौजूद है, वो बिहार में हाल में आई बाढ़ की बताकर अख़बार में छपी है।

 

पर्मा कल्चर न्यूज़ नाम की एक वेबसाइट पर ये तस्वीर 2014 में पब्लिश की गयी है। ये आर्टिकल बांग्लादेश में सैंडबार क्रॉपिंग पर लिखी गयी है। इस तस्वीर का श्रेय बांग्लादेश में प्रैक्टिकल ऐक्शन नाम के संगठन से जुड़ी संस्था शीरी (Stimulating Household Improvements Resulting in Economic Empowerment) को दिया गया है।

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प्रैक्टिकल एक्शन एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जो विकासशील देशों में गरीबों के उत्थान का काम करती है। बांग्लादेश में भी इसने काफ़ी काम किया है। शीरी बांग्लादेश की एक सरकारी संस्था है। इस जानकारी के आधार पर हमने की वर्ड सर्च से ये तस्वीर शीरी की वेबसाइट पर ढूंढने की कोशिश की। इसके मीडिया सेक्शन में फ़्लिकर का एक लिंक दिया गया है जिसमें शीरी के काम की सभी फ़ोटोज़ हैं। यहां हमें प्रैक्टिकल ऐक्शन, बांग्लादेश (PAB) नाम का एक एल्बम मिला। इस एल्बम में 272 फ़ोटोज़ हैं।

 

इस एल्बम में वो तस्वीर भी है, जिसे अभी बिहार की बताकर शेयर किया जा रहा है। बताया गया है कि ये तस्वीर 22 सितम्बर, 2011 को ली गयी थी।

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ये निकला नतीजा 

 

इस तरह कम से कम 9 साल पुरानी बांग्लादेश की तस्वीर को बिहार के एक गांव की बताकर शेयर किया जा रहा है। ये तस्वीर भारत की नहीं है। हालांकि, बिहार में भी बाढ़ के चलते हालात बहुत खराब हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, बिहार के 11 जिलों में बाढ़ से लगभग 15 लाख लोग प्रभावित हुए हैं जिनमें से 10 लोगों की मौत हो चुकी है।

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