लात घूसों से BJP नेता की पिटाई, वीडियो तो सही है पर फर्जी दावे के साथ हो रही वायरल
नई दिल्ली. संशोधित नागरिकता कानून को लेकर देश भर विरोध प्रदर्शन चले। वहीं सत्ताधीन पार्टी बीजेपी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने सीएए कानून के समर्थन में भी प्रदर्शन किए। ऐसे में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि बीजेपी के नेता लोगों को सीएए कानून समझाने गए तो वहां की जनता ने उन्हें बुरी तरह पीट दिया। वीडियो ट्वीटर पर हैशटैग बीजेपी ले डूबी के साथ शेयर किया जा रहा है।
Asianet News Hindi | Published : Jan 22, 2020 7:17 AM IST / Updated: Jan 22 2020, 01:01 PM IST
वीडियो में देखा जा सकता है कि भारी भीड़ के बीच फंसे गले में भाजपा का गमछा डाले नजर आ रहे हैं। भीड़ में कुछ आदमी दोनों नेताओं के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट कर रहे हैं। पर सवाल ये उठता है कि क्या वाकई ये वीडियो ताजातरीन मामले सीएए से जुड़ा है या माजरा कुछ और ही है....।
ट्विटर पर समर नाम के एक यूजर ने ये वीडियो शेयर किया जिसमें कैप्शन लिखा था कि, नॉर्थइस्ट में बीजेपी नेताओं ने सीएए के समर्थन में डोर टू टोर यानि घर-घर जाकर लोगों को समझाने का एक कैंपेन किया था। इसमें वहां के लोगों ने बीजेपी नेताओं का कुछ ऐसे स्वागत किया। पोस्ट को सैकड़ों लोगों ने शेयर किया। वीडियो में दो बीजेपी नेताओं के साथ हो रही मारपीट को भी देख जा सकता है।
वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि ये नागरिकता कानून से जुड़ा है। नॉर्थइस्ट में बीजेपी नेताओं ने सीएए के समर्थन में एक कैंपेन किया था। कुछ नेता जनता को कानून समझाने के लिए घर-घर गए तो स्थानीय लोगों ने उनके साथ मारपीट की। आइए अब फैक्ट चेकिंग में जानते हैं कि इस वीडियो और दावे में आखिर कितनी सच्चाई है?
फैक्ट चेकिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो और दावे से जुड़ी सच्चाई कुछ और ही निकली। ये वीडियो किसी भी तरह से संशोधित नागरकिता कानून 2019 से जुड़ा नहीं है। ये वीडियो साल 2017 का है। ये घटना गोरखालैंड विरोध की है जब स्थानीय समूहों ने भाजपा के बंगाल अध्यक्ष दिलीप घोष के दार्जिलिंग दौरे का विरोध किया था। तब वहां के एक ग्रुप ने भाजपा नेता से मारपीट की थी यही वीडियो साल 2019 में चुनावों से पहले भी वायरल किया जा चुका है तब दावा किया गया था कि वोट मांगने वाले भाजपा सदस्यों को पीटा गया। अब इसी वीडियो को सीएए से जोड़कर झूठ फैलाया जा रहा है। (इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट)
फैक्ट चेकिंग में मिली जानकारी के आधार पर हम कह सकते हैं कि ये वीडियो आज से चार साल पुराना है और इसका सीएए से कोई संबंध नहीं है। वीडियो को सोशल मीडिया पर फर्जी दावों के साथ वायरल किया जा रहा है।