भेड़ बकरियों की तरह असम में नजरबंद हैं CAA का विरोध कर रहे लोग, क्या है वायरल फोटो की सच्चाई?

गुवाहटी. संशोधित नागरिकता कानून (CAA) पर पूर्वोत्तर राज्यों में जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। असम में कानून के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए पुलिस और फोर्स तैनात की गई तो आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज हुआ। कुछ को जेल में डाल दिया गया। इसके मद्देनजर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है। वायरल फोटो में एक कमरे में कई लोग ठूंसे हुए नजर आ रहे हैं। इसे देश में असम में अवैध प्रवासियों के लिए डिटेंशन रूम (नजरबंदी शिविर) की अंदर की तस्वीर होने का दावा किया जा रहा है। फेसबुक पर इस तस्वीर के 5000 शेयर्स पहुंचने के बाद हमने इसकी सत्यता जानने की कोशिश की तो हैरान कर देने वाली जानकारी सामने आई...........
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 15, 2019 12:33 PM IST
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भेड़ बकरियों की तरह असम में नजरबंद हैं CAA का विरोध कर रहे लोग, क्या है वायरल फोटो की सच्चाई?
फेसबुक पर एक यूजर ने 13 दिसंबर को तस्वीर को इस कैप्शन के साथ शेयर किया कि, ये असम में डिटेंशन रूम के अंदर का नजारा है, जहां अवैध शरणार्थी भेड़-बकरियों की तरह भरे गए हैं। पोस्ट पर देखते ही लोगों ने इसे शेयर करना शुरू कर दिया, अवैध शर्णार्थियों की ऐसी हालत देख लोग खुश नजर आए वहीं कुछ ने इसे चिंतित होकर शेयर किया। तस्वीर वायरल हो गई और इसके शेयर्स पांच हजार पहुंच गए।
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दरअसल 9 दिसंबर को केंद्र सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून राज्यसभा में पारित होने के बाद देशभर में लागू कर दिया है। इस कानून के तहत अवैध शर्णार्थियों पर लगाम लगेगी। इसी के तहत सोशल मीडिया पर ये तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें देश में मौजूद घुसपैठिओं को इन डिटेंशन सेंटर में भेजे जाने का दावा किया गया है। हालांकि तस्वीर की सच्चाई कुछ और ही निकली।
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वायरल होने के बाद हमने तस्वीर और दावे की छानबीन की। गगूल पर तस्वीर से जुड़ी जानकारी खोजने पर हमने पाया कि ये फोटो एक साल पुरानी है। गूगल पर रिवर्स सर्च इमेज में हमें तस्वीर डोमिनिकन रिपब्लिक वेबसाइट एल टायपो पर प्रकाशित एकआर्टिकल से मिली। ये फोटो एक जेल की है। 15 फरवरी, 2019 को कैरिबियाई देश में ला रोमाना जेल में कैदियों की फोटो पब्लिश की गई थी। इसी फोटो को मोडिफाई कर असम डिटेंशन कैंप का नाम दे दिया गया। इस तरह वायरल तस्वीर का दावा झूठा है।
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तस्वीर की सत्यता जानने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि वायरल फोटो साल 2017-18 की है और भारत से इसका कोई संबंध नहीं है। वहीं ये कैरिबियाई जेल में बंद कैदियों की स्थिती बताती है। असम में डिटेंशन कैंप से इस तस्वीर का दूर तक कोई नाता नहीं है।
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