Published : Apr 03, 2020, 05:25 PM ISTUpdated : Apr 03, 2020, 05:27 PM IST
नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। चीन से फैले इस वायरस को लेकर देश-दुनिया में लगातार चर्चा हो रही है। वायरस से दुनिया भर में लाखों लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं हजारों की तादाद में लोगों ने जान गंवाई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि चीन के वुहान से फैला ये वायरस जानवरों में पाया जाता है। खासतौर पर चमगादड़ इसके वाहक हैं। अब इससे जुड़ा एक दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। दावे में एक चीनी के चमगादड़ के साथ शारीरिक संबंध बनाने की बात कही गई है। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि सच्चाई क्या है?
एक समाचार वेबसाइट - वर्ल्ड न्यूज़ डेली रिपोर्ट (डब्ल्यूएनडीआर) के एक लेख में दावा किया जा रहा है कि चीनी अधिकारियों के मुताबिक कोरोनावायरस के सबसे पहले रोगी ने चमगादड़ के साथ सेक्स किया था। इस गलत दावे को सच मानते हुए कई लोग इसे ऑनलाइन शेयर कर रहे हैं।
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वायरल पोस्ट क्या है? लेख में एक कहानी छपी है। कहानी कहती है, चीनी अधिकारियों ने हुबई प्रांत के एक 24 वर्षीय व्यक्ति यिन डाओ तांग की पहचान नोवेल कोरोनावायरस से पीड़ित होने वाले पहले मरीज के रूप में की थी। ये 17 नवंबर को सामने आया था।
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वेबसाइट में आगे दावा किया गया है कि ऐसा माना जा रहा है कि चमगादड़ सहित कई जानवरों के साथ यौन संबंध बनाने में लिप्त था। इसी वजह से तांग कोरोना से ग्रसित हुए हैं। रिपोर्ट में एक बूढ़े व्यक्ति को तांग का पिता बाताया जा रहा है और बताया जा रहा है कि वह अपने बेटे के कार्यों के लिए शर्मिंदा है।
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क्या दावा किया जा रहा है? इस कहानी में चीनी व्यक्ति के चमगादड़ और अन्य जानवरों संग यौन क्रिया के कारण कोरोना वायरस का वाहक होने का दावा किया गया है। कहानी के मुताबिक चीनी व्यक्ति तांग ने जानवरों संग संबंध बनाए उसमें कोरोना वायरस आ गया और इससे ये सारे चीन में फैल गया। इस घिनौनी हरकत के कारण उसके पिता भी शर्मिंदा हैं। चीनी के इस पाप की सजा आज पूरी दुनिया भुगत रही है।
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सच्चाई क्या है? कहानी छापने वाली वेबसाइट फर्जी खबरों के लिए फेमस हैं। पूरी कहानी कल्पनिक है। कहानी में उपयोग की जाने वाली मुख्य तस्वीर हांगकांग फ्री प्रेस के एक लेख से ली गई है। वर्ल्ड न्यूज़ डेली रिपोर्ट एक फ़र्ज़ी साइट है जो व्यंग सामग्री प्रकाशित करने की आंड़ में ग़लत जानकारी फैलाता है।
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फ़र्ज़ी समाचार वेबसाइटों की सूची में भी नाम शामिल है। साइट के 'अबाउट अस (About Us) ' सेक्शन में डिस्क्लेमर में लिखा है कि वेबसाइट पर दी गई खबरें वास्तविक घटनाएं नहीं हैं।
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इस साइट पर भरोसा कर कई बार लोगों मजाकिया तरीके से लिखी गई खबरों को सच मान लेते हैं और शेयर करने लगते हैं। वेबसाइट पर मौजूद बाकी खबरों को देखा जाए तो भी अधिकतर शक पैदा करने वाली हैं उनमें कोई सच्चाई नहीं है।
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ये निकला नतीजा- कोरोना वायरस को लेकर फेक खबरों का जैसा अंबार लगा हुआ है। सोशल मीडिया पर कोरोना को लेकर फर्जी दावे किए जा रहे हैं, कभी इसके आयुर्वेदिक इलाज की बात की जाती है तो कभी देश में राष्ट्रपति शासन लागू होने का फर्जी आदेश वायरल हो जाता है। ऐसी खबरों पर भरोसा करने से बचें।