2000 साल पहले भारत में हुई थी साइकिल की खोज, जान लीजिए वायरल तस्वीर का सच

नई दिल्ली. सोशल मीडिया पर एक्टिव लोग रोजाना सैकड़ों फेक तस्वीरें और खबरों का शिकार होते हैं। फेक न्यूज के इस दौर में कैसे जानें कि क्या सच है और क्या झूठ? आप भी बहुत बार फर्जी खबरों से ठगे जाते हैं तो एशियानेट न्यूज आपको फेक चेकिंग के जरिए इन झूठी खबरों और तस्वीरों की सच्चाई बता रहा है। अगर आप ट्विटर और फेसबुक पर एक्टिव हैं तो आपने भारत के इतिहास और गौरव से जुड़ी चीजें जरूर देखी होंगी। इन तस्वीरों को देख आप देशभक्ति से भर जाते हैं और तुरंत शेयर कर देते हैं लेकिन यह नहीं जानते कि आपकी भावनाएं के साथ खेल कोई अपना धंधा चला रहा है। अब 2000 साल पहले प्राचीन भारत में साइकिल के अविष्कार का दावा करती इस तस्वीर को ही देख लीजिए। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 25, 2019 3:14 PM IST / Updated: Nov 25 2019, 09:16 PM IST
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2000 साल पहले भारत में हुई थी साइकिल की खोज, जान लीजिए वायरल तस्वीर का सच
एक साइकिल की सवारी करते हुए एक दीवार पर नक्काशी की तस्वीर इस दावे के साथ वायरल की जा रही है कि यह तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली शहर के पंचवर्णस्वामी मंदिर की है। मंदिर हिंदू देवता शिव की है। नक्काशी के एक अलग कोलाज के साथ फोटो को पोस्ट करते हुए फेसबुक पर नारायण मूर्ति गोलापती ने दावा किया, “साइकिल, रिमोट का आविष्कार किसने किया? क्या हमारे देश में कुछ 2, 000 साल पहले कोई अंतरिक्ष यात्री था? बताइए, पंचवर्णस्वामी मंदिर में इन चित्रकारी को देखें। मंदिर की दीवारों में एक साइकिल, एक अंतरिक्ष यात्री और एक रिमोट है। और आधुनिक विज्ञान कहता है कि यूरोप में मैकमिलन द्वारा लगभग 200 साल पहले साइकिल का आविष्कार किया गया था।"
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गूगल पर पहली फोटो को सर्च करके देखा गया तो पाया गया कि ये तो इंडोनेशिया के बाली प्रांत के कुबुतम्बहन में स्थित बाली मंदिर की हैं, जहां की नक्काशी काफी प्रसिद्ध है। फोटो को दिए गए कैप्शन के अनुसार, नक्काशी में डच कलाकार WOJ Nieuwnkamp को दर्शाया गया है। आप यहां उसी नक्काशी की दूसरी छवि देख सकते हैं।
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लेखक डेविड शेविट ने 2003 की अपनी पुस्तक बाली एंड द टूरिस्ट इंडस्ट्री में लिखा है, “उन्होंने बाली के लोगों के मनोरंजन के लिए साइकिल से द्वीप के उत्तरी भाग की खोज की, जिन्होंने कभी ऐसा नहीं देखा था। अपनी साइकिल की सवारी करने वाले को अमर करते करने के लिए पत्थर पर चित्रकारी उकेरी गई थी, इसे आज भी कुतुबाम्बन के एक छोटे से उत्तर बालिनी गांव में देखी जा सकती है, ये दर्शाती है कि बालिनी नवीनता से कितने प्रभावित थे।" अब हम आपको इस वायरल पोस्ट में कोलाज में दिखाई गई दूसरी तस्वीरों की हकीकत बताएंगे। दूसरी फोटो में एक रिमोट और अंतरिक्ष यात्री को भी दिखाया गया है। इस फोटो में पहले ही SMHoaxSlayer का वॉटरमार्क लगा है। फैक्ट चेक करने पर पता चलता है कि कोलाज में बाईं ओर से पहली फोटो वाकई पंचवर्णस्वामी मंदिर में की नक्काशी की है।
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व्लॉगर प्रवीण मोहन ने मंदिर में नक्काशी को दिखाते हुए एक वीडियो प्रकाशित किया, जिसे "प्राचीन प्रौद्योगिकी प्रमाणों का दावे के साथ वीडियो में दिखाया गया था यह काफी चर्चा में रहा। हालांकि यूके तिरुचिरापल्ली स्थित एक ऐतिहासिक अनुसंधान केंद्र में कार्यरत और नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. कलाईकोवन जब ने चोल युग के मंदिर में नक्काशी के अस्तित्व के लिएतार्किक स्पष्टीकरण दिया। प्राचीन मंदिर में एक चक्र की नक्काशी देखकर, उन्हें यह अजीब लगा लेकिन न तो अधिकारियों और न ही इसके इतिहास को लिखने वाले विद्वान यह समझाने में सक्षम थे कि यह वहां कैसे आया।"
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एक मोबाइल फोन की एक फोटो को बीच में रखा गया है। गूगल पर ये फोटो 2009 के ब्लॉग में मिली है जिसमें स्पेन के ला रियोजा प्रांत के कैलाहोरा कैथेड्रल की भव्यता बताई गई है। यह नक्काशी वहीं से उठाकर एडिट करके यूज कर दी गई। आपको बता दें कि तीसरी फोटो में अंतरिक्ष यात्री की है यह पत्थर की नक्काशी स्पेन के सलामांका शहर के एक गिरजाघर की है। अब आप समझ गए होंगे कि किस तरह सोशल मीडिया पर झूठे तथ्यों और आंकड़ों के साथ आपको गुमराह किया जा रहा है।
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