सच क्या है?
गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमें इस घटना की सच्चाई मालूम हुई। दरअसल हमें अब्दुल हफ़ीज़ के फ़ेसबुक पेज पर 23 अप्रैल का एक पोस्ट मिला जिसमें ये लिखा गया था कि सोशल मीडिया पर इस तस्वीर के साथ चल रहे दावे ग़लत हैं। अब्दुल हफ़ीज़ ने कहा, “ये तस्वीर मार्च में खींची गयी थी। हम रायलसीमा यूनिवर्सिटी में बने क्वारंटीन सेंटर में थे। वहां एक शख्स के पैर में चोट लग गयी थी और नर्स उसे अटेंड कर रही थी। हालात थोड़े गंभीर थे क्यूंकि जिसे चोट लगी थी वो डायबिटीज़ का मरीज़ था।”
उन्होंने ये भी बताया कि 5 अप्रैल को उन्होंने फैल रही इस ग़लत जानकारी के बारे में कुरनूल के वन टाउन पुलिस थाने में एफ़आईआर भी लिखवाई है। एफ़आईआर के मुताबिक़ इन अफ़वाहों की शुरुआत 5 अप्रैल से हुई। कुरनूल पुलिस ने भी इस ग़लत जानकारी के बारे में एक फ़ेसबुक पोस्ट पब्लिश किया था।