लगातार मास्क लगाने से हो सकती है ये गंभीर बीमारी, आधे शरीर में नहीं पहुंचेगी ऑक्सीजन, जानें सच

नई दिल्ली.  कोरोना महामारी के दौरान मास्क का इस्तेमाल अब आम बात हो गई है। पूरे देश में मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हर रोज मौत और संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ने के बाद लोग जागरूक हो गए और मास्क और सैनिटाइजर को दिनचर्या का हिस्सा बना लिया है। हालांकि इस बीच कुछ सोशल मीडिया यूजर्स का दावा है कि लंबे समय तक मास्क लगाने से हाइपोक्सिया नाम की कोई बीमारी हो सकती है...वायरल हुई एक पोस्ट में कहा गया कि लंबे समय तक मास्क का प्रयोग करने से हाइपोक्सिया हो सकता है। हाइपोक्सिया एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें पूरे मानव शरीर या शरीर के एक हिस्से में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचती है।

 

वायरल होने के बाद हर कोई मास्क के इस्तेमाल को लेकर डरा सहमा हुआ है। ऐसे में हमने इस पोस्ट और दावे की जांच-पड़ताल की। फैक्ट चेकिंग में मास्क के इस्तेमाल को लेकर सच्चाई सामने आई। 

Asianet News Hindi | Published : May 16, 2020 7:43 AM IST / Updated: May 16 2020, 01:22 PM IST

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लगातार मास्क लगाने से हो सकती है ये गंभीर बीमारी, आधे शरीर में नहीं पहुंचेगी ऑक्सीजन, जानें सच

वायरल पोस्ट के मुताबिक, हम मास्क के अंदर बार-बार सांस लेते हैं तो बाहर छोड़ी हुई कार्बन डाइऑक्साइड ही फिर से सांस के साथ अंदर जाती है और हमें चक्कर आने लगता है। लोग दावा कर रहे हैं कि मास्क के कारण इंसानों में ऑक्सीजन की कमी वाली एक बीमारी हो सकती है। 

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वायरल पोस्ट क्या है? 

 

सोशल मीडिया यूजर्स यह पोस्ट वॉट्सएप और फेसबुक पर शेयर कर रहे हैं। मूल रूप से यह लेख एक नाइ​जीरियन वेबसाइट “Vanguard” पर छपा है, जो सोशल मीडिया पर वायरल है। फेसबुक ग्रुप 'Senior Advocates Of Matrimony' में 'Toni Tega Epapala' ने पहले यह पोस्ट शेयर की थी, लेकिन बाद में डिलीट कर दी। उनकी पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है। फेसबुक पर इसे बहुत से यूजर्स ने शेयर किया है।
 

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क्या दावा किया जा रहा है? 

 

इस लेख में दावा किया गया है कि चेहरे पर लंबे समय तक मास्क के इस्तेमाल का नतीजा यह होता है कि व्यक्ति अपनी छोड़ी हुई कार्बन डाइऑक्साइड को ही सांस के साथ अंदर लेने लगता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। फेसबुक पर लोग इसे लगातार शेयर करके लोगों को जागरूक करने की अपील कर रहे हैं। 

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सच क्या है? 

 

यह दावा और पोस्ट दोनों भ्रामक हैं। फेस मास्क के उपयोग से हाइपोक्सिया नहीं होता और इसका ब्रेन या हृदय पर कोई खराब असर नहीं पड़ता है। हालांकि, फेस मास्क और चश्मा अगर ज्यादा कसा हुआ है तो लंबे समय तक इसे लगाए रहने से सिरदर्द जैसी दिक्कत हो सकती है। वायरल पोस्ट में किए गए दावे के बारे में फिजीशियन और नेफ्रॉन इंस्ट्रीट्यूट के चेयरमैन डॉक्टर संजीव बगाई ने स्पष्ट किया कि अगर मास्क का उपयोग लंबे समय तक करना पड़े, तब भी यह पूरी तरह सुरक्षित है।

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डॉक्टर के मुताबिक, “मास्क आपको उस संक्रमण से बचाने के लिए है, जो खांसी या छींक से निकली डॉपलेट के जरिये हो सकते हैं, लेकिन मास्क ऐसा नहीं होना चाहिए कि लगाने वाले का दम घुटे। इसे सही साइज और सही बनावट का होना चाहिए। मास्क चेहरे पर इतना कसा हुआ नहीं होना चाहिए कि जिससे लगाने वाले को असहज महसूस हो।”

 

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वायरल पोस्ट में N-95 मास्क, सर्जिकल मास्क या किसी विशेष तरह के मास्क का जिक्र नहीं किया गया है। यह भी गौर करने की बात है कि N-95 मास्क, पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) का हिस्सा है, जिसे संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी इस्तेमाल करते हैं। हाल ही में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के इंजीनियरों ने एक नए तरह का प्रोटेक्टिव फेस मास्क विकसित किया है। जो ऑक्सीजन की कमी जैसे दुष्प्रभावों से बचाव करेंगे।

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अपोलो हैदराबाद के सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर सुधीर कुमार के अनुसार, वायरल पोस्ट में कोई सच्चाई नहीं है. उन्होंने कहा, “दरअसल, यह पोस्ट जिसने शेयर की है उसकी शरारत लग रही है। हम सब अच्छी तरह से जानते हैं कि फेस मास्क कोरोना वायरस और दूसरे सांस संबंधी संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं। इस तरह की पोस्ट जनता को फेस मास्क का उपयोग करने के प्रति निराश कर सकती है।”

 

डॉ कुमार ने जोर देकर कहा कि फेस मास्क के उपयोग से हाइपोक्सिया नहीं होता और इसका ब्रेन या हर्ट के काम करने पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता है। 
 

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ये निकला नतीजा 

 

इसलिए डॉक्टरों की राय के अनुसार हम कह सकते हैं कि कपड़े और बिना वाल्व के बने सामान्य मास्क का लंबे समय तक उपयोग किया जा सकता है, यह पूरी तरह सुरक्षित है। फेस मास्क सही साइज और सही बनावट का होना चाहिए जिससे उसे लगाने से दम न घुटे या असहजता महसूस न हो। विशेषज्ञों के अनुसार, स्वास्थ्य कर्मियों को लंबे समय तक एक मास्क का उपयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि एक समय बाद वे अपनी प्रभावशीलता खो देते हैं। इस सलाह के भी पीछे ऑक्सीजन की कमी जैसा कारण नहीं है।

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हालांकि ये सच है कि चीन में लंबे समय तक जब चिकित्साकर्मियों की मास्क उतारने के बाद हालात काफी खराब नजर आई थी। वहां की नर्सों के चेहरे पर गहरे घाव और रैशेज पड़ गए थे। उनके चेहरे काफी भयावह हो गए थे। ये फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं। लंबे समय तक मास्क लगाए रहने से उनके चेहरे पर ये निशान देखे गए इसके अलावा उन्होंने कोई समस्या का जिक्र नहीं किया। 

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