Fact Check: PM मोदी ने अमेरिका को भेजी थी कोरोना की दवा...तो क्या इसलिए तिरंगा बनाकर किया सैल्यूट?

नई दिल्ली. बीते कुछ दिनों पहले स्विट्ज़रलैंड के मैटरहॉर्न पर्वत की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई थी। इसमें पर्वत पर तिरंगे को रंगा दिखाया गया था। इस तस्वीर को देख हर कोई भारतीय गदगद हो उठा था। फोटो को बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज सहित देश के प्रधानमंत्री ने भी शेयर किया गया था। पर फोटो आने के कुछ देर बाद ही सोशल मीडिया पर इसको लेकर तरह-तरह के दावे वायरल होने लगे। 18 अप्रैल को भाजपा के नेशनल जनरल सेक्रेटरी बी एल संतोष ने इस तस्वीर में दिख रहा है कि मैटरहॉर्न पहाड़ पर भारत के तिरंगे जैसी रोशनी की गई है। ऐसे इसलिए किया गया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों अमेरिका को मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन  का निर्यात किया था। मोदी और भारत को धन्यवाद बोलने के लिए सबसे बड़े पर्वत पर तिरंगा दर्शाया गया।

 

वहीं कुछ लोगों ने फोटो को देख कहा कि स्विट्ज़रलैंड ने कोरोना से भारत की लड़ाई को सैल्यूट किया है। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि इसमें कितनी सच्चाई है? 

Asianet News Hindi | Published : Apr 21, 2020 7:58 AM IST / Updated: Apr 21 2020, 01:56 PM IST

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Fact Check: PM मोदी ने अमेरिका को भेजी थी कोरोना की दवा...तो क्या इसलिए तिरंगा बनाकर किया सैल्यूट?

कोरोना से जंग के लिए दुनिया भर के सभी देशों की लड़ाई को हिम्मत देने और उत्साह जगाने के लिए स्विट्जरलैंड ने अपने सबसे ऊंचे पर्वत माउंट मैटरहॉर्न पर रोशनी से कई देशों के झंडे बनाए थे। स्विट्ज़रलैंड के मैटरहॉर्न पर्वत पर भारतीय झंडे के रंगों का प्रोजेक्शन किया गया था। स्विट्जरलैंड में मौजूद भारतीय दूतावास और आईएफएस अधिकारी गुरलीन कौर ने इसकी तस्वीर अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर की।

 

भारतीय एंबेसी की ओर से लिखा गया - करीब 1000 मीटर से बड़े आकार का तिरंगा स्विट्जरलैंड के जरमैट में मैटरहार्न पर्वत पर दिखा। ये कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सभी भारतीयों के साथ एकजुटता के लिए है। इस भावना के लिए धन्यवाद। स्विट्जरलैंड में भारतीय एंबेसी के ट्वीट के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे रीट्वीट किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया मिलकर कोविड-19 से लड़ रही है और इंसानियत इस महामारी से जरूर जीतेगी।

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वायरल पोस्ट क्या है? 

 

सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को अलग ही दावों के साथ शेयर किया जा रहा है। 18 अप्रैल को भाजपा के नेशनल जनरल सेक्रेटरी बी एल संतोष ने लिखा कि,  इस घटना की वजह भारत द्वारा HCQ टेबलेट्स पहुंचाना था। भारत ने बीते दिनों अमेरिका को HCQ मलेरिया की दवा निर्यात की थी। 

 

इस ट्वीट को आर्टिकल लिखे जाने तक 13 हज़ार से ज़्यादा बार लाइक 2,400 बार रीट्वीट किया जा चुका है। 

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लोगों का कहना है कि, अमेरिका ने भारत को धन्यवाद कहने और कोरोना से जंग के लिए स्विट्ज़रलैंड ने मैटरहॉर्न पर्वत पर तिंरगा बनाकर सैल्यूट किया।

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दावा क्या है?

 

 

दावा है कि स्विट्ज़रलैंड ने कोरोना वायरस के खिलाफ़ छिड़ी जंग में भारत प्रयासों की सराहना करने के लिए ऐसा किया। पीएम मोदी के अंडर कोरोना की जंग में भारत की लड़ाई और सलाम करने के लिए तंरगा बनाया गया। प्रसार भारती ने भी पर्वत पर तिरंगे दर्शाने की वजह हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन  के निर्यात को बताया। 

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फैक्ट चेकिंग

 

अब हम आपको स्विट्ज़रलैंड के मैटरहॉर्न पर्वत पर तिरंगा दर्शाने का असली कारण बताते हैं। दरअसल हमें 17 अप्रैल की @IndiainSwiss हैंडल की एक ट्वीट मिला। ये स्विट्ज़रलैंड में भारतीय दूतावास का हैंडल है। जिसके मुताबिक, कोरोना वायरस के खिलाफ़ छिड़ी जंग में भारत के साथ एकजुटता दर्शाने के लिए स्विट्ज़रलैंड ने मैटरहॉर्न पर्वत पर भारतीय ध्वज की रोशनी की। साथ ही ये बताया गया है कि कोरोना संक्रमण के चलते सभी भारतीयों को ‘उम्मीद और हिम्मत’ देने के लिए ऐसा किया गया था। इस ट्वीट में @zermatt_tourism को इसके लिए धन्यवाद देते हुए टैग किया गया है।

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ज़रमैट मैटरहॉर्न टूरिज़म की वेबसाइट के मुताबिक, ऐसा सिर्फ़ भारत के लिए ही नहीं लेकिन कोरोना वायरस के खिलाफ़ लड़ने वाले सभी देशों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए किया था। मैटरहॉर्न पर्वत पर सभी देशों के लोगों को ऐसे बुरे वक़्त में उम्मीद देने के लिए झंडों के रंग की रोशनी की गई थी। 

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ये निकला नतीजा

 

इस तरह कोरोना महामारी के दौरान स्विट्ज़रलैंड के मैटरहॉर्न पर्वत पर कई देशों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए झंडों की रोशनी की गई थी। सोशल मीडिया में मैटरहॉर्न पर्वत पर भारतीय झंडे को दिखलाती तस्वीर शेयर कर ये ग़लत दावा किया गया कि कोरोना के खिलाफ़ चल रही लड़ाई में भारत की प्रमुखता को देखते हुए ऐसा किया है। साथ ही अमेरिका को भेजी गई मलेरिया की दवाई के लिए राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को तिरंगा दर्शा कर ऐसे धन्यवाद नहीं बोला है। ये सभी दावे झूठे हैं। 

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