इस महिला की तस्वीर दिखाकर आपसे बोला जा रहा है बड़ा झूठ, ये कोरोना मरीज नहीं है, जान लें मैसेज का पूरा सच

Published : Apr 23, 2021, 02:01 PM IST

कोरोना में ऑक्सीजन की किल्लत के बीच सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिसके साथ दावा किया जा रहा है कि मरीजों का रोड पर ही इलाज करना पड़ रहा है। ट्विटर और फेसबुक पर ऐसी ही एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें दिख रहा है कि एक महिला रोड पर बैठी है। उसके मुंह पर ऑक्सीजन मास्क लगा है और बगल में एक ऑक्सीजन सिलेंडर भी रखा गया है। इस तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि कोरोना की मरीज को रोड पर ही इलाज हो रहा है। लेकिन ये तस्वीर 3 साल पुरानी है।

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इस महिला की तस्वीर दिखाकर आपसे बोला जा रहा है बड़ा झूठ, ये कोरोना मरीज नहीं है, जान लें मैसेज का पूरा सच

वायरल तस्वीर के साथ दावा
वायरल तस्वीर को तृणमूल कांग्रेस के बंगार गोरबो ममता ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है। तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा है- इस मां का क्या अपराध है मोदी जी? तस्वीर के साथ इस ट्वीट को 203 बार शेयर किया गया। लेकिन तस्वीर की हकीकत कुछ और ही है।

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वायरल तस्वीर का सच क्या है?
Asianet News Hindi ने वायरल तस्वीर का सच जानने के लिए सबसे पहले गूगल के टूल रिवर्स इमेज से सर्चिंग की, जिसके बाद गूगल पर कई लिंक खुलकर सामने आ गए। एक लिंक पर क्लिक करने पर पता चला कि तस्वीर 7 अप्रैल 2018 की यूपी के आगरा की है। 
 

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तस्वीर के पीछे की कहानी
तस्वीर से जुड़े कई लिंक खंगालने पर पता चला कि एक बेटा अपनी मां के लिए एंबुलेंस का इंतजार कर रहा था। बेटा मां के ही बगल में खड़ा है। इस दौरान मां को ऑक्सीजन सिलेंडर लगाया गया था। 
 

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टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी इस खबर को पब्लिश किया था। 7 अप्रैल 2018 को पब्लिश की गई खबर को यूट्यूब पर शेयर किया गया था, जिसमें लिखा था, आगरा मेडिकल कॉलेज में एक शख्स अपनी मां के साथ एंबुलेंस का इंतजार करता हुआ। हालांकि बाद में हॉस्पिटल के अधिकारियों ने इस आरोप को खारिज किया था कि एंबुलेंस टाइम से नहीं पहुंची थी।  
 

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न्यूज एजेंसी ANI का एक वीडियो भी मिला। वीडियो में साफ दिख रहा है कि जो तस्वीर वायरल हो रही है वह उसी महिला की है जो वीडियो में दिख रही है। यह वीडियो साल 2018 में अपलोड किया गया था।
 

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निष्कर्ष
ऐसे में निष्कर्ष निकलता है कि सोशल मीडिया पर महिला को कोरोना मरीज बताते हुए वायरल तस्वीर और इसके साथ किया जा रहा दावा झूठा है। इस कोरोना काल की तस्वीर बताकर वायरल किया जा रहा है जबकि ये साल 2018 की है।

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